बढ़ रही वैदिक गणित की लोकप्रियता
नई दिल्ली, 15 जनवरी| संस्कृत के श्लोकों में लिपटा देश का गणित ज्ञान आधुनिक पीढ़ी को भले ही पुराना पड़ चुका और दुसाध्य लगता हो लेकिन 11 साल के छात्र आदित्य रे को वैदिक गणित की मदद से पांच अंकों वाली संख्या को चार अंकों वाली संख्या से गुणा करने में सेकेंडों का समय नहीं लगता।
आदित्य ने बताया कि यह सब वैदिक गणित के कारण हो सका और इसने गणीतिय गणनाओं को बेहद सरल बना दिया है। वास्तविकता भी यही है कि पारंपरिक तरीके से इतनी बड़ी संख्या का गुणनफल निकालने में कुछ मिनट तो लग ही जाएंगे।
कक्षा छह के छात्र आदित्य ने आईएएनएस से कहा, "पारंपरिक विधि से इतनी बड़ी संख्या का गुणनफल निकालने में कम से कम डेढ़ मिनट का वक्त लगता। लेकिन वैदिक गणित की मदद से मैं इसे 30 सेकेंड में हल कर लेता हूं।"
कोलकाता के रहने वाले रे ने बताया कि स्कूल में उनसे पारंपरिक व्ििध से सवालों का हल निकालने की उम्मीद की जाती है, लेकिन वह अक्सकर सवालों के हल की जांच करने के लिए वैदिक गणित का ही सहारा लेते हैं।
वैदिक गणित दरअसल संस्कृत के 16 सूत्रों पर आधारित है। पारंपरिक विधि की अपेक्षा वैदिक गणित की विधि से गणितीय गड़नाओं को 10 से 15 गुना तेजी से किया जा सकता है।
स्वामी भारती कृष्णा तीरथ जी ने वैदिक गणित की खोज 20वीं सदी की शुरुआत में की। वैदिक गणित को आसानी याद होने वाला, एक ही गणना को कई विधियों से करने की सुविधा देने वाला, जिज्ञासा को बढ़ाने वाला और विश्लेषणात्मक प्रवृत्ति प्रदान करने वाला भी माना जाता है।
स्कूल ऑफ वैदिक मैथ्स (एसओवीएम) के अनुसार तीरथ जी का जन्म तमिलनाडु के तिरुनेलवे्ल्ली में 1884 में हुआ था। 20 वर्ष की अवस्था में वह एम. ए. की पढ़ाई पूरी कर कॉलेज में प्रिंसिपल बन गए। हालांकि अध्यात्म में रूचि के चलते उन्होंने जल्द ही यह नौकरी छोड़ दी।
गहन आत्मचिंतन के दौरान स्वामी तीरथ ने अथर्ववेद से इस 16 सूत्रीय गणित का सूत्रपात किया। तीरथ जी का दावा था कि इस 16 सूत्रीय श्लोक की मदद से गणित की कठिन से कठिन गणनाओं का हल निकाला जा सकता है।
भारतीय वैदिक गणित मंच के अध्यक्ष गौरव टेकरीवाल ने बताया कि पारंपरिक विधि से ज्यादा प्रामाणिक और तेजी से सवालों का हल निकालने का इससे सरल उपाय कोई नहीं है। इसके लिए सिर्फ थोड़े से अभ्यास की जरूरत होती है।
यह मंच छात्रों के लिए 30 घंटे का और शिक्षकों के लिए 40 घंटे का पाठ्यक्रम चलाता है।
मैजिकल मेथड्स के संस्थापक निदेशक प्रदीप कुमार ने वैदिक गणित की विशेषता का उदाहरण देते हुए कहा कि 5 पर समाप्त होने वाले किसी भी अंक का वर्ग निकालना बेहद सरल हो जाता है।
कुमार ने बताया, "छात्रों में वैदिक गणित की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। यह उन छात्रों के लिए ज्यादा उपयोगी है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। अभी सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में तेजी से हल निकालना काफी अहम हो चुका है और इसमें वैदिक गणित सबसे असरदार साबित हो सकता है।"
वहीं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के गणित विभाग के प्राध्यापक एस. जी. डैनी मानते हैं कि वैदिक गणित सिर्फ नुस्खों का पिटारा है और कुछ भी नहीं।
दक्षिणपंथी शिक्षाविद दीनानाथ बत्रा वैदिक गणित को स्कूली पाठयक्रम में शामिल करने की जोर-शोर से न सिर्फ पैरवी कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने इसके समर्थन में मुहिम भी चला रखा है।
वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के गणित विभाग की सहायक प्राध्यापिका सपना जैन ने कहा, "वैदिक गणित की जड़ें प्राचीन इतिहास से जुड़ी हैं। इसके अध्ययन से हमें शून्य और बीजगणित के आविष्कार के बारे में भी पता चल सकेगा।"