बजट का संकेत “लाड़ली” बनी भाजपा के लिए सत्ता में वापसी की उम्मीद
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 1 मार्च। शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में डेढ़ दशक से मध्यप्रदेश की सत्ता पर आसीन भाजपा की इस उपलब्धि में “लाड़ली” की बड़ी भूमिका है। इसलिए लाड़ली लक्ष्मी योजना की सफलता के बाद सरकार ने लाड़ली बहना योजना शुरू कर दी। वर्तमान सरकार के आखरी बजट में इन दोनों ही योजनाओं अर्थात लाड़लियों के लिए जमकर बजट आवंटन किया गया। कांग्रेस भी इसे समझ रही है, इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बजट घोषणा होते ही कांग्रेस की सरकार बनने पर लाड़ली बहना योजना की राशि एक हजार के बजाय डेढ़ हजार रुपए महीने करने का ऐलान कर दिया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर “लाड़ली” के भरोसे पार्टी की सत्ता में वापसी का मार्ग प्रशस्त करने की तैयारी में जुट गए हैं। इसलिए उन्होंने पहले तो लाड़ली लक्ष्मी योजना- पार्ट टू शुरू की और लाड़ली लक्ष्मी योजना में शामिल बच्चियों की उच्च शिक्षा की व्यवस्था की। अब उससे भी एक कदम आगे बढ़कर लाड़ली बहना शुरू करने का ऐलान कर दिया है। इसमें प्रदेश की कमजोर माली हालत वाली महिलाओं को एक हजार रुपए प्रति माह की मदद दी जाएगी। वर्तमान शिवराज सरकार के आखिरी बजट में लाड़ली के लिए जिस तरह बजट का प्रावधान किया गया है, वह भी इस बात का संकेत है कि सरकार लाडली के भरोसे सत्ता में वापसी का रास्ता खोज रही है। इसलिए लाड़ना बहना औऱ लाडली लक्ष्मी दोनों ही योजनाओं के लिए बजट में अच्छा खासा प्लान किया गया है। लाड़ली बहना के लिए तो पांच साल का बजट प्लान बताया गया है। सरकार आने वाले पांच साल में लाडली बहना योजना पर 60 हजार करोड़ खर्च करने जा रही है।
भाजपा की हाल ही में संपन्न विकास यात्रा में सरकार की जिन फ्लैगशिप योजनाओं के बारे में आम लोगों को अधिक से अधिक जानकारी देने के निर्देश पार्टी कार्यकर्ताओं को दिए गए थे, उनमें लाड़ली योजना प्रमुख है। इसलिए यह माना जा रहा है कि इस बार लाड़ली ही भाजपा सरकार की लक्ष्मी बनेगी। साल 2007 में शुरू की गई लाड़ली लक्ष्मी योजना ने जिस तरह 2008 में भाजपा की की सत्ता में वापसी करा दी, वही उम्मीद इस बार भी बन रही है। सीएम शिवराज सिंह चौहान 2007 में उनकी सरकार द्वारा शुरु की गई लाडली लक्ष्मी योजना को लेकर खुद सीएम अक्सर भावुक हो जाते हैं। वे बताते हैं कि मैं गांव में पैदा हुआ और बचपन से भेदभाव देखता था। मां भी बेईमानी करती थी। बेटे को ज्यादा प्यार, लेकिन यदि बेटी जन्म ले ले तो चेहरा मुरझा जाता था। ये कहतीं थी बेटा बुढापे की लाठी का सहारा है। लेकिन क्या पता लाठी बनेगा कि लाठी मारेगा। बेटी तो बोझ है। ससुराल चली जाएगी। मुझे कहते हुए तकलीफ है कि एक समय ऐसा आया कि एक हजार बेटों पर बेटियां 912 रह गईं। ये भेदभाव भगवान नहीं इंसान करता था। बेटी आए तो कोख में मार दो ये पाप इसी धरती पर हुआ है। बेटी के साथ भेदभाव होता था। मुख्यमंत्री बनने के पहले जब में छोटा था। मैं भेदभाव देखकर मेरी आत्मा दुखती थी। एक कार्यक्रम में मुझे बोलने का मौका मिला तो मैंने कहा कि बेटी बेटा को बराबर मानो। तो एक बूढी अम्मा कहने लगीं बेटी हो जाएगी तो उसकी शादी क्या तुम करोगे। इसके बाद ही मैंने सोच लिया शिवराज बेटियों के लिए कुछ करना है। उसी के चलते 2007 में लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की गई, जो फ्लैगशिप योजनाओं की माइल स्टोन बन गई। इसीलिए इस बार भी लाड़ली को भाजपा की लक्ष्मी बनाने की कवायद शुरू हो गई। लाड़ली लक्ष्मी पार्ट दो शुरू कर लडकियों की उच्च शिक्षा का खर्च सरकार उठा रही है। बेटियों को कॉलेज में दाखिले और उच्च शिक्षा के लिए सरकार ने स्कॉलरशिप देने की शुरुआत की है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में 3,28,307 लाडली बेटियों के खातों में 105 करोड 80 लाख की राशि ट्रांसफर की। इसी कड़ी में शुरू की गई लाड़ली बहना योजना लाड़ली योजना के सियासी लाभ को बढ़ा सकती है। भाजपा के रणनीतिकारों को भी यह लग रहा है। इसलिए पार्टी की विकास यात्रा में इसके प्रचार प्रसार के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बीजेपी कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कहा है कि कार्यकर्ता बूथ स्तर पर पहुंचकर सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को हितग्राहियों से जोडऩे का काम करें। हमारा लक्ष्य जनता का कल्याण और समाज के हर वर्ग की सेवा करना है। कार्यकर्ता सरकार की लाडली बहना योजना सहित अन्य विकासोन्मुखी योजनाओं को घर-घर पहुंचाकर 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की विजय के लिए काम करें। यह संकल्प ही इशारा करता है कि सरकार और संगठन इस बार लाड़ली के जरिए सियासी जंग जीतने की तैयारी में है। लाड़ली ही इस बार भाजपा की सत्ता में वापसी की बड़ी उम्मीद है। कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कांग्रेस की सरकार बनने पर लाडली बहना योजना की राशि बढ़ाकर डेढ़ हजार रुपए करने का ऐलान करके इस बात का संकेत दे दिया है कि भाजपा सत्ता में वापसी की जिस उम्मीद पर चल रही है वह सही है।