फसल बीमा योजना में बड़ी चूक, 6511 गावों का नाम ही दर्ज नहीं हुआ
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 23 सितंबर। फसल बीमा योजना को लेकर मचे सियासी हंगामे के बीच सरकार की बड़ी चूक सामने आई है। सरकार के पोर्टल पर 6511 गांवों के नाम ही दर्ज वहीं हुए हैं। इसके चलते इन गांवों के करीब पांच लाख किसानों को फसल बीमा का लाभ ही नहीं मिल पाएगा। यह मामला केंद्र तक पहुंच गया है और केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से तीस सितंबर तक जवाब मांगा है। सरकार ने भूल स्वीकारते हुए इसका ठीकरा पूर्ववर्ती सरकार पर फोड़ दिया है।
आपदा पीड़ित किसानों को राहत पहुंचाने के लिए चल रही फसल बीमा योजना इस समय मध्यप्रदेश में सियासतदारों को बड़ी राहत पहुंचा रही है। सरकारी स्तर पर की गई गलतियों के चलते किसानों को योजना का सार्थक लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते राजनीतिक पार्टियों को एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का मौका मिल गया। पहले सत्तारूढ़ भाजपा ने आरोप लगाया कि पूर्वर्वती कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने फसल बीमा योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा भरा जाने वाला प्रीमियम नहीं भरा, इसलिए किसानों को समय पर राहत नहीं मिल पाई। शिवराज सरकार ने दावा किया उसने धनराशि की व्यवस्था करके प्रीमियम भर दिया है, इसलिए किसानों को भुगतान मिलना शुरू हुआ। इस बीच भुगतान के आंकड़े सामने आए तो फिर सियासी बवाल मच गया। कई किसानों को पांच, पच्चीस, पचास रुपए तक मुआवजा मिला। अब कांग्रेस को मौका मिल गया सत्तारूढ़ भाजपा पर हमला बोलने का। विपक्ष के हमलों से बचने का रास्ता सीएम शिवराज ने निकाला और घोषणा की अब फसल बीमा में एक न्यूनतम क्लेम राशि मिलने का प्रावधान किया जाएगा। इसके लिए कृषि मंत्रालय ने कार्रवाई शुरू भी कर दी है। किसी तरह यह मामला शांत हो रहा था कि एक नया बवाल खडा हो गया है। सरकारी स्तर पर हुई बड़ी चूक के कारण 6511 गांवों का नाम ही फसल बीमा के पोर्टल में दर्ज नहीं हुआ। इन गांवों की अधिसूचित फसलों के बारे में पोर्टल पर पहले जानकारी भरी जानी थी, उसी आधार पर फसल के नुकसान का मुआवजा बीमा कंपनियां किसानों को अदा करतीं, लेकिन पोर्टल पर जानकारी दर्ज न होने से करीब पांच लाख किसानों को क्लेम नहीं मिलेगा। इस बारे में हुई पड़ताल के बाद केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से 30 सितंबर तक जवाब तलब किया है। सरकार को चूक समझ में तो आ गई लेकिन सियासी टर्न लेते हुए उसने इसका ठीकरा पूर्ववती सरकार के सिर पर फोड़ दिया है।