पुराने कर्मचारी और सेना के जवान भी लगाए गए नोट छापने के काम में
भोपाल। मोदी सरकार के नोट बंदी के फैसले ने मध्यप्रदेश को भी चर्चा में ला दिया है। प्रदेश के देवास में जहां नोटों की छपाई होती है, वहीं होशंगाबाद में नोट छापने का कागज बनाया जाता है। भारत सरकार की इन दोनों फैक्ट्रियों में इन दिनों काम बढ़ गया है। इसके कारण पुराने कर्मचारियों और सेना के जवानों की मदद ली जा रही है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार देवास स्थित सिक्युरिटी प्रिंटिग एंडमिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड की यूनिट बीएनपी में आजकल 24 घंटेनोट छापने का काम चल रहा है। देश में इस वक़्त सबसे ज्यादा 2000 रुपये केनोट छापे जा रहे हैं।इसके चलते पहले तो सेना के जवानों को काम के लिए बुलाया गया। इसके बाद अब सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों को भी काम पर वापस बुला लिया गया है। उन्हें लगभग 15 हज़ार रुपये तक वेतन दिया जा रहा है। कर्मचारियों के लंच के समय को भी कम कर दिया गया है। रविवार की छुट्टी तक रद्द कर दी गई है और उन पर काम का बहुत ज्यादा दबाव है।
नोट प्रेससे जुड़े सूत्रों ने बताया कि ऊपर से नीचे तक हरकर्मचारी इस वक़्त दबाव में काम कर रहा है। पहले कभी भी इस तरह के दबाव कासामना नहीं करना पड़ा। इस वक़्त यहां के कर्मचारी देश की ज़रूरत पूरीकरने में लगे हैं। वहीं उन्हें डर है कि काम में थोड़ी सी ग़लती उनके लिएमुश्किल पैदा कर सकती है।बताया जा रहा है कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया को हर रोज़ देवास से दोकंटेनर नोट भेजे जा रहे हैं। वहीं कर्मचारियों के लिए इन्सेंटिव की घोषणा भी की गई है ताकि वो ज्यादा से ज्यादा काम करें। इसके अलावा उन्हें ओवर टाइम करने के लिए भी कहा जा रहा है। हालांकिआधुनिकीकरण के चलते ज्यादातर काम मशीनों से हो रहे हैं, लेकिन स्थिति ऐसीबन गई है कि बैंक नोट प्रेस में अब काम रूक ही नहीं रहा है।
कमोबेशयही स्थिति होशंगाबाद स्थित नोट का कागज़ बनाने वाली सिक्योरिटी पेपर मिल (एसपीएम) की भी है। यहां रोज़ाना पीएम-5 मशीन के ज़रिये 24 घंटे नोटों काकाग़ज़ तैयार किया जा रहा है। होशंगाबाद से अब तक सौ टन कागज बना कर भेजा जा चुका है। एक मैट्रिक टन काग़ज़ से लगभग तीन लाख नोट बनाए जा सकते है। होशंगाबाद में भी तकरीबन एक हज़ार कर्मचारी नोटों का काग़ज़ तैयार करने के काम में जुटे हैं।