पीढ़ी दर पीढ़ी सिंहस्थ के प्रति आस्था
तिथि, त्यौहार, पर्व, मेले आदि सभ्यता एवं संस्कृति के एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक के संवाहक होते हैं। इनके आयोजन से हमारी सांस्कृतिक परम्पराएँ जीवन्त हो उठती हैं। उज्जैन सिंहस्थ में आये शाजापुर जिले के ग्राम पोलाय कलां के हीरालाल चौधरी एवं तुलसीराम मण्डलोई की तरह अनेक श्रद्धालु ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी पूर्व पीढ़ियों अर्थात अपने दादा जी के साथ सन 1968 में पहला कुंभ स्नान किया था। आज उन्होंने अपने नातियों के साथ पाँचवीं बार सिंहस्थ महाकुंभ में रामघाट पर डुबकी लगाई।
श्री चौधरी का कहना था कि तब के और आज के महाकुंभ में काफी बदलाव आ चुका है। वर्तमान महाकुंभ में प्रदेश सरकार की व्यवस्थाएँ उच्च कोटि की हैं। एक से सवा करोड़ तीर्थ-यात्रियों के बावजूद यातायात, शुद्ध पेयजल, मार्गदर्शन केन्द्र, सुरक्षा, आश्रमों में ठहरने की एवं भोजन आदि की व्यवस्थाएँ सराहनीय हैं। उन्होंने बताया कि हमारे नगर की आबादी 16 हजार के करीब है, जिसमें से करीब 10 हजार लोगों ने विभिन्न पर्व पर स्नान किया। आने का क्रम अभी भी जारी है। हमारे परिवार के सभी सदस्यों ने बारी-बारी से पर्व स्नान का पुण्य-लाभ प्राप्त किया है।
इन्दौर तिरूपति नगर से आयी 84 वर्षीय श्रीमती कान्ताबाई नागर की कमर झुकी हुई है, वे बिना सहारे चल नहीं सकती हैं, ने बताया कि वे अपने 100 वर्षीय पति श्री राम चन्दर नागर के साथ यहाँ आयी हैं। मुझे देश की संस्कृति एवं परम्पराओं में बहुत अधिक आस्था है। भगवान महाकाल के आशीर्वाद से मुझे किसी तरह की तकलीफ नहीं है। मेरी 64 वर्षीय बहू श्रीमती निर्मला नागर एवं बेटा अधिवक्ता बाबूलाल नागर मेरी भावनाओं की कद्र करते हैं। मैं चौथा कुंभ स्नान का पुण्य प्राप्त करने के लिए यहाँ आयी हूँ। मुझे यहाँ आकर जो सुख प्राप्त हुआ है, वह अन्यत्र नहीं मिल सकता है। मैं क्षिप्रा मैया से पूरे देश के सुख एवं समृद्धि की कामना के लिए प्रार्थना करती हूँ।