पाकिस्तान से एमएफएन दर्जा वापस, मोदी सरकार का बड़ा फैसला

Feb 15, 2019

खरी खरी डेस्क

नई दिल्ली,  15 फरवरी। पुलवामा हमले के बाद भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पाकिस्तान दो एमएफएन (मोस्ट फेवर्ड नेशन) का  दर्जा वापस ले लिया है।  हमले को लेकर हुई सीसीएस की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी।

अरुण जेटली ने कहा कि सीसीएस ने पुलवामा हमले की समीक्षा की और इस पर चर्चा की। बैठक में दो मिनट का मौन रखा गया। उन्होंने कहा कि जिन जवानों ने शहादत दी है उनपर देश को गर्व है। विदेश मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए सभी संभावित कदम उठाएगा। बैठक में हुए सभी फैसलों को बाहर नहीं बताया जा सकता है। अरुण जेटली ने ऐलान किया कि भारत सरकार ने पाकिस्तान को दिया हुआ मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले लिया है। पाकिस्तान को कूटनीतिक स्तर पर घेरने की तैयारी की जा रही है।  भारत सरकार की ओर से शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी और पुलवामा हमले पर चर्चा की जाएगी। सर्वदलीय बैठक की अगुवाई गृह मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे।

क्या है मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन  (एमएफएन)

 विश्व व्यापार संगठन और इंटरनेशनल ट्रेड नियमों के आधार पर व्यापार में सर्वाधिक तरजीह वाले देश को एमएफएन का दर्जा दिया जाता है। एमएफएन का दर्जा दिए जाने पर देश इस बात को लेकर आश्वस्त रहते हैं कि उसे व्यापार में नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। भारत ने पाकिस्तान को 1996 में एमएफएन का दर्जा दिया था। एमएफएन(MFN) के नियम के अनुसार कोई भी देश विभिन्न देशों के बीच व्यापार संबंधी समझौतों में भेदभाव नहीं कर सकता। लेकिन पाकिस्तान ने भारत को ये दर्जा नहीं दिया है बल्कि इसके बजाए उसने भारत से Non-Discriminatory Market Access (NDMA) agreement संधि की है जिसकी वजह भारत और पाकिस्तान के बिगड़े राजनैतिक संबंध बताए जाते हैं।

पाकिस्तान और भारत के बीच 2.61 बिलियन डॉलर का व्यपार है जिसमें सीमेंट, सब्जियां, फल शुगर, मिनरेल, फ्यूल, मिनरेल ऑयल और कई तरह की चीजें शामिल हैं। अगर पाकिस्तान ने भी भारत को MFN  का दर्जा दिया होता तो उसे भी ट्रैड टैरिफ घटाने पड़ते हैं। भारत को पाकिस्तान के लिए जहां केवल 600 कॉमोडिटीज के लिए मार्केट फ्री करना है, वहीं पाकिस्तान को भारत के लिए 1000 कॉमोडिटीज के लिए मार्केट को फ्री करना होगा।

लेकिन क्या MFN  का मतलब किसी देश को ज्यादा तरजीह देना होता है? नहीं...।  MFN  का मतलब केवल इतना है कि व्यापार में कोई भी देश जिसे ये दर्जा मिला हो वो किसी दूसरे देश की तुलना में घाटे में नही रहेगा। जब किसी देश को MFN  का दर्जा दिया जाता है तो उससे उम्मीद की जाती है कि वो टैरिफ में घटौती करेगा।इसके अलावा कई वस्तुओं के आयात निर्यात उन दोनों देशों के बीच मुफ्त में हो सकेगा।

MFN दर्जे के क्या फायदे हैं

MFN का विकासशील देशों के लिए अलग ही महत्व है इसमें किसी भी देश के निर्यात में सहायता मिलती है और कॉमोडिटीज का कम या बिना टैरिफ के निर्यात किया जा सकता है। MFN  के कारण कई तरह के कानूनी मसलों में फंसे बिना व्यापारिक समझौते पूरे हो जाते हैं।

MFN  के नुकसान

इस दर्जे का सबसे बड़ा नुकसान ये है कि कि आपको ऐसा ही व्यवहार उन सब देशों के लिए अपनाना होगा जो WTO के मेंबर हैं। जिसके कारण देश की घरेलू उद्ध को काफी नुकसान होता है।

कब वापस लिया जा सकता है का दर्जा

डब्‍लूटीओ के आर्टिकल 21 बी के तहत कोई भी देश तब किसी देश को दिया मोस्‍ट फेवर्ड नेशन का दिया गया दर्जा वापस ले सकता है जब दोनों देशों के बीच सुरक्षा संबंधी मुद्दे पर विवाद हो। पर डब्‍लूटीओ के नियम के मुताबिक किसी भी देश को दिया गया एमएफएन का दर्जा वापस लेने के लिए सारी शर्तें पूरी करनी होती हैं।