नाटक नवप्रभात- राजकुमार ने अधीनता स्वीकारने के बजाय आत्महत्या कर ली
खरी खरी संवाददाता
भोपाल। सम्राट अशोक के जीवन पर तमाम कहानियों, नाटकों को लिखा जा चुका है। लेकिन हिन्दी के विख्यात लेखक विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित ऐतिहासिक नाटक अपना सबसे अलग स्थान रखता है। नवप्रभात नाटक का अब तक कई बार मंचन हो चुका है लेकिन इस नाटक को देखने की ललक अब तक दर्शकों के बीच बनी हुई है। यही देखते हुए सम्राट अशोक के जीवन पर आधारित नाटक नवप्रभात का मंचन शहीद भवन के सभागार में संजय श्रीवास्तव के निर्देशन में किया गया। लगभग एक घंटे चालीस मिनट के इस नाटक में सम्राट अशोक के द्वारा कलिंग युद्ध में जीत के बाद हुए हृदय परिवर्तन को दृश्यांकित किया गया है।
नाटक की कहानी
यह नाटक कलिंग युद्ध के दसवें दिन के युद्ध और उसमें हुई जीत के बाद भी अशोक सम्राट के विचलित होने की कहानी को दृश्यांकित किया गया है। नाटक में आगे दिखाया गया कि सम्राट अशोक साम्राज्यवादी नीति का पालन करते हुए कलिंग पर आक्रमण कर देता हैए दोनों सेनाओं में भयंकर युद्ध छिड़ जाता है। लगातार दस दिन चले इस युद्ध में लाखों आदमी मारे जाते हैं और हजारों घायल हो जाते हैं। नाटक के आगे के दृश्यों को दृश्यांकित कर बताया गया कि कलिंग के राजकुमार को पकड़ लिया जाता है जिससे सम्राट अशोक अधीनता स्वीकार करने के लिए कहते हैं लेकिन वह इससे इंकार कर देता है। सम्राट अशोक उसे मृत्यु दंड की सजा देते हैं। राजकुमार को मृत्युदंड की सजा मिले इससे पूर्व ही वह सम्राट अशोक को धिक्कारते हुए कहता है कि क्या यही वीरता है कि एक बंदी का सिर भी न झुका सके और इसके बाद वह आत्महत्या कर लेता है। युद्ध में हुए भीषण रक्तपात और राजकुमार द्वारा कही गई बात से सम्राट अशोक बेहद विचलित हो जाता है।
नाटक में आगे दृश्यों में बताया गया कि सम्राट अशोक यह सोचकर विचलित होता है कि मैं लाखों लोगों को मार तो सकता हूं लेकिन एक व्यक्ति को भी जीवन नहीं दे सकता और इस तरह सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन होने लगता है। इसके बाद वह अपने गुरू उपागुप्त की शरण में जाता है जो उसे बुद्धम शरणम् गच्छामि का मार्ग बताते हैं। इस तरह वह राजपाट को छोड़ शांति और अहिंसा के मार्ग पर चल पड़ते हैं।
मंच पर
इस नाटक में अभिनय करने वालों में सम्राट अशोक के गेटअप में संजय श्रीवास्तव, कलिंग कुमार- हर्ष, भिक्षु-उदय शहाणे, संघ मित्रा-अपूर्वा मुक्तिबोध, कारूवाकी-अनन्या वर्मा, भिक्षुणी-मृणाली पाण्डे, माही, रेवा, पारूल, चंडगिरी राहुल मुख्य रहे। इनके अलावा सैनिक के गेटअप में प्रकाश गायकवाड़, रमेश अहीर, प्रकाश मीना, हीतेश दुबे, आशीष ओझा व उपेंद्र मोहन्ता, दयानिधि मोहन्ता, देवराज, अम्बर गुहा एवं अतुल का अभिनय भी दर्शकों को अंत तक बांधे रखने में सफल रहा। वहीं प्रकाश परिकल्पना मुकेश जिज्ञासी, वेशभूषा- नीति श्रीवास्तव, संगीत संकलन- तन्मय, मंच साज सज्जा आशीष का रहा।