नाटक गगन घटा गहरानी-संत कबीर के आदर्शों का कोलाज
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 20 जून। आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद् द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में कबीर जयंती के अवसर पर तीन दिन से चल रहे निराकार की संगीत उपासना पर एकाग्र 'निर्गुण गान' समारोह का समापन नाटक ‘गगन घटा गहरानी’ के साथ हुआ। कबीर के जीवन, आदर्श और विचारों के कोलाज पर आधारित इस नाटक का निर्देशन पटना के संजय उपाध्याय ने किया।
नाटक की कहानी
‘गगन घटा गहरानी’ नाटक संत कबीर के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित रहा। इस नाटक के माध्यम से कबीर के जीवन, आदर्श और विचारों का कोलाज बना उस पर रोशनी डाली गई। इस नाटक में कबीर को कभी कवि, कभी प्रेमी और कभी प्रतिष्ठान विरोधी विपल्वी के रूप में तो कभी संतान व कभी पिता के रूप में नजर आते हैं। वर्तमान समय में भी संत कबीर का जीवन आदर्श प्रासंगिक है। प्रचलित सभी धर्म, जांति-पांति जो इंसानों में भेद पैदा करता है, उन सभी का तीव्र विरोध उभरकर आता है उसे भी इस नाटक में बेहद शालीनता के साथ दिखाया गया। इस नाटक के द्वारा बताने की कोशिश की गयी कि कबीर के जीवन आदर्श में कबीर का सारा जीवन सत्य की खोज तथा असत्य के खंडन में व्यतीत हुआ। साथ ही कई दृष्यों के माध्यम से यह बताने की भी कोशिश की कि कबीर की साधना 'मानने से नहीं' जानने से आरम्भ होती है। कबीर सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं, बल्कि एक विचार के रूप में हमारे सामने उभर कर एक बार नहीं बल्कि कई बार आते हैं।
मंच पर
इस ऐतिहासिक नाटक में अभिनय करने वालों में कृष्णा कुमार, रोहित चन्द्रा, कृष्णा कुमार, शारदा सिंह, शब्दा हज्जु, बिनीता सिंह, धीरज कुमार, ब्रजेश कुमार, राजेश कुमार, कुंदन कुमार, रोहित चन्द्रा, अभिषेक आन्नद, मो. जफ्फर आलम, राजीव राय, मन कपूर, अरविन्द कुमार, सुधांशु कुमार आदि मुख्य थे। इस नाटक में कथा गायक के रूप में अभिषेक राज, मुकेश कुमार, मो. जफ्फर, कुंदन कुमार, जय कुमार भारती, धीरज कुमार, रोहित चन्द्रा, कृष्णा कुमार, शारदा सिंह और शब्दा हज्जु आदि ने सहयोग किया। वाद्य यंत्र पर साथ देने वालों में हारमोनियम पर मो. जानी, ढोलक एवं तबला पर राजेश रंजन, नगाड़ा पर अरविन्द कुमार ने साथ दिया वहीं साइड इफ्फेक्ट में अभिषेक राज, प्रकाश परिकल्पना में बिजेंद्र कुमारे, रूप सज्जा में मुकेश कुमार, वस्त्र सज्जा में राजीव राय, मंच व्यवस्था में राजेश कुमार ने सहयोग किया।