दोस्तों के निशाने पर शिवराज सिंह

Feb 18, 2017

भोपाल, 18 फरवरी। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ यह दुखद संयोग है कि उनके संकटों में बड़ी भूमिका उन लोगों की होती है जो सियासत में उनके दोस्त माने जाते हैं। मामला चाहे डंपर कांड का हो अथवा बहुचर्चित व्यापमं घोटाले का। विरोधियों से ज्यादा अपनों ने शिवराज के सामने संकट खड़ा किया। उनके ऐसे ही दोस्तों में एक नाम है भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल का। भारतीय जनता युवा मोर्चा के जमाने से दोस्त माने जाने वाले पटेल ने हाल ही में अपने ट्वीट्स के जरिए सियासी हंगामा कर विरोधियों को शिवराज सिंह के खिलाफ निशाना साधने का अच्छा मौका दे दिया।

सांसद प्रहलाद पटेल ने ट्वीट करके व्यापमं मामले में छात्रों का भविष्य बर्बाद होने पर चिंता जताई। प्रहलाद पटेल ने लगातार दो दिन तक ट्वीट्स करके मध्यप्रदेश की सियासत में नई बहस छेड़ दी। सांसद पटेल ने पहले अपने ट्वीट में व्यापमं की जांच पर सवाल उठाए। उन्होंने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि व्यापमं में रिश्वत देने वाले पकड़े गए और सजा भी भुगत रहे हैं, लेकिन रिश्वत लेने वालों और रिश्वतखोरी के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने लोगों को सजा का अभी भी इंतजार है। उन्होंने व्यवस्था में बदलाव का बड़ा सुझाव दे दिया। इस पर सियासी बवाल मचा तो पटेल ने सफाई देकर फिर माहौल गर्मा दिया। उन्होंने अपने नए ट्वीट्स में कहा कि मुझसे व्यापमं पर ट्वीट करने पर आशय पूछा गया। सत्ता परिवर्तन की नियत से सोचने पर ढेर आशय निकलेंगे, पर व्यवस्था परिवर्तन के लिए मेरा आशय साफ है। जिन योग्य प्रतिभागियों का हक मारा गया हैं उन्हें क्या मिलेगा, जिन्होंने जीवन के छह वर्ष डॉक्टरी सीखी वे शून्य, पिता पुत्र और उसकी पीढ़ी प्रभावित होगी। हम अपनी भविष्य की पीढ़ी को लुटने से नहीं बचा सके ऐसा विफल प्रशासनिक ढांचा, राजनैतिक दृष्टि से कैसे ओझल हो गया यह आत्मावलोकन जरूरी है। प्रहलाद पटेल भले ही अब अपनी टिप्पणी को सामान्य बात कह रहे हैं लेकिन सभी को लग रहा है कि उनका निशाना सत्ता के केंद्र बिंदु मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं।

व्यापमं के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सबसे ज्यादा आहत डंपर कांड में हुए थे। डंपर कांड को भले ही कांग्रेस और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष जमुनादेवी ने तूल दिया हो, लेकिन इस मामले को दस्तावेजों के साथ प्रह्लाद पटेल ने ही उजागर किया था। उस समय पटेल ने शिवराज जी को पत्र भी लिखा था और उसमें उन्हें मित्र बताया था। डंपर कांड को कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बना लिया था। लेकिन यह बात शायद शिवराज सिंह को आज भी सालती होगी कि उनके खिलाफ यह मामला खड़ा करने वाले प्रहलाद पटेल ही थे। जबकि यह माना जाता है कि दोनों भारतीय जनता युवा मोर्चा के जमाने के मित्र हैं। दोनों में गहरी दोस्ती भले ही न रही हो लेकिन आपसी वैमनस्य कभी नहीं रहा। कभी उमा भारती के खास लोगों में गिने जाने वाले पटेल ने भाजपा से उमा की बगावत में उनका खुला साथ दिया। यह बात अलग है कि दोनों एक ट्रैक पर बहुत दिनों तक नहीं चल सके और अलग हो गए। इसके बावजूद प्रह्लाद पटेल शिवराज सरकार के खिलाफ विरोध का झंडा तब तक ऊंचा किए रहे जब तक कि उनकी भाजपा में वापसी नहीं हो गई। अब वे भाजपा से सांसद हैं। लेकिन उनके ट्वीट्स ने एक ऐसा सियासी बवाल खड़ा किया जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए सियासी मुश्किल तो पैदा कर ही रहा है। भाजपा सांसद की टिप्पणी से विरोधियों को शिवराज पर टिप्पणी करने का मौका मिल गया।

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