दशकों की प्रतीक्षा के बाद अभिजीत मुहूर्त में अपने भव्य भवन में विराजे श्रीराम

Jan 22, 2024

खरी खरी संवाददाता

अयोध्या, 23 जनवरी। दशकों की प्रतीक्षा के बाद अयोध्यापति प्रभु श्रीराम पौष माह की द्वादशी तिथि (22 जनवरी 2024) को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न एवं वृश्चिक नवांश में अपने मंदिर में विराज गए। अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि पर बने भव्य मंदिर में विधि विधान के साथ श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साक्षी बनने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी तथा आरएसएस के प्रमुख डा मोहन राव भागवत सहित हजारों की संख्या में अतिविशिष्टजन तथा धर्माचार्य और संत महात्मा मंदिर परिसर में मौजूद थे। सारी दुनिया में करोड़ों लोगों ने प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का लाइव प्रसारण देखा। समारोह पूरा होने के बाद अवधपुरी 10 लाख दीपों से जगमगा गई।

ईस्वी सन् 2024 के जनवरी माह की 22 तारीख इतिहास बन गई। आने वाली कई सदियों तक यह तारीख याद की जाती रहेगी। करीब पांच सौ साल के बाद प्रभु श्रीराम का अपने भवन (मंदिर) में विधि विधान से आगमन हुआ। इसके लिए उन्हें करीब तीन दशक तक टैंट मे भी रहना पड़ा। दुनिया भर में धूम मचा देने वाले प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्यूनतम विधि-अनुष्ठान रखे गए। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रातः काल 10 बजे से 'मंगल ध्वनि' के भव्य वादन शुरू हुआ। विभिन्न राज्यों से 50 से अधिक मनोरम वाद्ययंत्र लगभग दो घंटे तक इस शुभ घटना का साक्षी बनें। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने वाले अतिथियों का आगमन 10.30 बजे तक हुआ। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा जारी की गई प्रवेशिका के जरिए ही प्रवेश कराया गया। ट्रस्ट ने सोशल मीडिया पर प्रवेशिका का एक प्रारूप भी साझा किया था।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की विधि दोपहर 12:20 बजे शुरू हुई। प्राण प्रतिष्ठा की मुख्य पूजा अभिजीत मुहूर्त में हुई। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला था। यह कार्यक्रम पौष माह के द्वादशी तिथि (22 जनवरी 2024) को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न एवं वृश्चिक नवांश में हुआ। 

लगभग 84 सेकंड का शुभ मुहूर्त 

शुभ मुहूर्त दिन के 12 बजकर 29 मिनट और 08 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट और 32 सेकंड तक का रहा। यानि प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त केवल 84 सेकंड का रहा। पूजा-विधि के जजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हुई। अनुष्ठान को काशी के प्रख्यात वैदिक आचार्य गणेश्वर द्रविड़ और आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में 121 वैदिक आचार्यों ने संपन्न कराया। इस दौरान 150 से अधिक परंपराओं के संत-धर्माचार्य और 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तटवासी, द्वीपवासी, जनजातीय परंपराओं की भी उपस्थिति रही।

प्राण प्रतिष्ठा के बाद मनी दीपावली

प्राण-प्रतिष्ठा समारोह पूर्ण होने के उपरांत 'राम ज्योति' प्रज्ज्वलित कर दीपावली मनाई गई। शाम को अयोध्या 10 लाख दीपों से जगमगा गई। इसके साथ ही मकानों, दुकानों, प्रतिष्ठानों और पौराणिक स्थलों पर 'राम ज्योति' प्रज्ज्वलित की गई। अयोध्या सरयू नदी के तटों की मिट्टी से बने दीपों से रोशन हुई। रामलला, कनक भवन, हनुमानगढ़ी, गुप्तारघाट, सरयू तट, लता मंगेशकर चौक, मणिराम दास छावनी समेत 100 मंदिरों, प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर दीप प्रज्ज्वलित किए गए।