तीन तलाक पर धर्म का फैसला 10 को भोपाल में होगा
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नई दिल्ली, 23 अगस्त। तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से करोड़ों मुस्लिम महिलाएं भले ही खुश हों, लेकिन मुस्लिम समाज के झंडाबरदार बने धार्मिक संगठन और नेता इस फैसले से नाखुश हैं। विशेषकर मुल्ला, मौलवी, काजी, मुफ्ती जैसे ओहदों पर बैठे धार्मिक नेता इसे नहीं मानना चाहते हैं। इसलिए सबसे बड़े धार्मिक संगठन आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की बैठक 10 सितंबर को भोपाल में होने जा रही है। इसमें तीन तलाक और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्णय होगा।
धार्मिक संगठनों की मांग है कि संविधान की धारा 25 के तहत मुसलमानों को अपने धर्म का अपने हिसाब से पालन करने का अधिकार है और अदालत को इस मामले में दख़ल देने का कोई अधिकार नहीं है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है शरिया क़ानून में किसी भी सरकार को दखल देने का हक नहीं है। ज़्यादातर भारतीय मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ में किसी भी तरह का बदलाव नहीं चाहते हैं। बोर्ड में एक महिला विंग का गठन किया गया है जो कि ट्रिपल तलाक़ के मामलों पर निगरानी रखेगी। ट्रिपल तलाक़ की वजहों की पड़ताल की जाएगी और महिलाओं को न्याय दिलाया जाएगा। बेवजह तलाक़ देने वालों के सामाजिक बहिष्कार की कोशिश की जाएगी। हम नहीं चाहते कि धार्मिक मामलों और पर्सनल लॉ से जुड़े मुद्दों यानी निकाह, हलाला और तीन तलाक पर सरकार कोई दखल दे। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने जिस तरह से इस मामले को धर्म से जोड़ने की कोशिश की है, उससे लग रहा है कि कोर्ट के फैसले के बाद भी अभी विवाद की स्थिति बनी रहेगी। पर्सनल ला बोर्ड महिलाओं को भी बरगलाने की कोशिश कर रहा है, उन्हें समझाया जा रहा है कि शरीयत के मामलों में सरकारों और अदालतों का हस्तक्षेप ठीक नहीं है।
अदालत के फैसले के बाद उपजी स्थितियों पर मुस्लिम समाज के लोगों को भोपाल में 10 सितंबर को होने वाली पर्सनल ला बोर्ड की बैठक में बताया जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि समाज का एक बड़ा तबका अब बोर्ड के धार्मिक फैसलों के खिलाफ जा सकता है। शायद सुप्रीम कोर्ट का फैसला और केंद्र सरकार की सख्त रणनीति के चलते पर्सनल ला बोर्ड अपने फैसलों को जबरिया लागू करवाने की कोशिश नहीं करेगा। अब सभी की निगाहें भोपाल में दस सितंबर को होने वाली मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की बैठक पर टिकी हैं।