डेड लाइन तक सब ठीक नहीं हो पाएगा डूब क्षेत्र में
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 30 जुलाई। मध्य़प्रदेश में एक बार फिर हरसूद का इतिहास दोहराए जाने की स्थिति बन रही है। अब यह इतिहास सरदार सरोवर के डूब क्षेत्र में आने वाले निसरपुर में लिखा जा रहा है। सरदार सरोवर बांध की उंचाई बढ़ाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से धार और बड़वानी जिले के डूब प्रभावित गांव सियासी जंग का मैदान बन गए हैं। डूब क्षेत्र के गांवों को शिफ्ट करने की डेड लाइन 31 जुलाई है और अभी इस बात की उम्मीद बिल्कुल नहीं है कि सब कुछ ठीक ठाक हो जाएगा। सरकार की अव्यवस्थाओं के अलावा नर्मदा बचाओ आंदोलन जैसे संगठन और कांग्रेस जैसे सियासी दलों ने इस उम्मीद को बढ़ा दिया है।
धार और बडवानी जिलों में नर्मदा का जलस्तर बढ़ रहा है। बीते 48 घंटे में एक मीटर से ज्यादा पानी बढ़ गया है। नर्मदा खतरे के निशान से 3.280 मीटर नीचे बह रही है। सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावितों के पुनर्वास कुछ ही घंटे शेष हैं। पुनर्वास 31 जुलाई तक होना है, लेकिन दोनों जिलों के 6292 परिवार अब भी डूब क्षेत्र में बसे हुए हैं। बड़वानी से पांच किमी दूर राजघाट स्थित नर्मदा नदी में डूब प्रभावित जल सत्याग्रह कर रहे हैं। कांग्रेस के बड़े बड़े नेता निसरपुर में इकट्ठा हुए और सरकार पर तमाम आरोप लगाते हुए डूब प्रभावितों के बेहतर पुर्नवास का नारा बुलंद किया। नर्मदा बचाओ आंदोलन के लोग मेघा पाटकर जैसी बड़ी नेता की अगुवाई में आंदोलन कर रहे हैं।
दूसरी तरफ राज्य सरकार इस कोशिश में है कि सब कुछ ठीक ठाक हो जाए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में भले ही कांग्रेस के तमाम आरोपों का जवाब नहीं दिया, लेकिन डूब प्रभावित इलाकों से लोगों को सीएम हाउस बुलाकर तमाम घोषणाएं कर दीं। उन्होंने डूब प्रभावितों के लिए राहत राशि 5 लाख से बढ़ाकर 15 लाख करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा है कि सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने का फैसला तत्कालीन कांग्रेस सरकारों की देन है, उस दौरान इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुनर्वास के लिए पहले 600 करोड़ का पैकेज दिया गया था जिसमें डूब प्रभावित हर परिवार को 5 लाख 62 हजार रुपए मिलने थे। अब उस राशि को बढ़ाकर 15 लाख रुपए किया गया है। सरकारी, धर्मस्व एवं समाज के मंदिरों के पुनर्निर्माण के लिए 27 करोड़ रुपए की पूरी राशि दी जाएगी। आवश्यकता होने पर और राशि भी दी जायेगी। सभी समाजों के मांगलिक भवनों के लिए उपलब्धता के आधार पर भूखंड दिए जाएंगे। सर्वे में छूट गए जायज परिवारों के लिए फिर से सर्वे करवाया जाएगा। गांधीजी के अस्थि-कलश को भव्य स्मारक में स्थापित किया जाएगा।
इस सबके बावजूद लग रहा है कि मध्यप्रदेश में एक बार फिर हरसूद का इतिहास दोहराया जाएगा। इसमें सभी लोग जाने अनजाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। डूब प्रभावित लोग नेताओं की बातों में आ रहे हैं। सियासी लोग उनको बहलाकर अपनी रोटियां सेंक रहे हैं। सरकारी अमला अपनी जेबें भरने के लालच में प्रभावितों की उतनी मदद नही कर रहा जितन मदद सरकार भेज रही है। इस कारण निसरपुर के रूप में फिर हरसूद बनने जा रहा है।