जस्टिस संजीव खन्ना ने भारत के नए चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली

Nov 11, 2024

खरी खरी संवाददाता

नई दिल्ली, 11 नवंबर। जस्टिस संजीव खन्ना भारत के नए चीफ जस्टिस बन गए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म ने जस्टिस खन्ना को देश के 51वें चीफ जस्टिस के रूप में सोमवार को शपथ दिलाई। जस्टिस खन्ना छह महीने से कुछ अधिक समय तक देश के चीफ जस्टिस के रूप में कार्य करेंगे। वे 65 वर्ष की आयु पूरी होने पर 13 मई, 2025 को रिटायर हो जाएंगे। जस्टिस खन्ना ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का स्थान लिया है।

जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल मात्र छह महीने का होगा। लोगों की नजर उनकी कार्यशैली पर है।अपने फैसलों के लिए विख्यात जस्टिस खन्ना को लेकर लोगों के मन में यह सवाल है कि नए चीफ जस्टिस की महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार की अपेक्षा किस तरह का रुख होगा। उनका कार्यकाल छोटा है लेकिन इस बात में लोगों की ख़ास दिलचस्पी है कि जस्टिस खन्ना का कार्यकाल, उनमें संभावना, उनके न्यायिक फ़ैसले और भारत के न्यायिक तंत्र में निहित सीमाओं के संदर्भ में कैसा रहेगा। इसकी एक वजह यह भी है कि आने वाले समय में कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष होनी हैं। इन मामलों में बिहार में जातीय जनगणना की वैधता, समलैंगिक विवाह के अधिकार को खारिज करने वाले आदेश की समीक्षा, मैरिटल रेप, नागरिकता संशोधन अधिनियम, कई सालों से जेल में बंद राजनैतिक कैदियों के केस के साथ ही पीएम मोदी से जुड़ी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री जैसे मामले भी हैं। जस्टिस खन्ना की पहचान स्पष्ट रूप से फैसला लेने वाले जस्टिस की रही है। इसके अलावा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति अधिनियम, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया है। इस मामले की सुनवाई नए चीफ जस्टिस की बेंच ही करेगी। शीर्ष अदालत में इस संबंध में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। ऐसे में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले में क्या फैसला करेगी इस पर भी सबकी नजर रहेगी।ग़ौरतलब है कि भारत में छोटे कार्यकाल वाले मुख्य न्यायाधीशों का जो इतिहास रहा है, उसने अभी तक यही दिखाया है कि अगर वो कोशिश करें तो सुधार की ऐसी दिशा तय कर सकते हैं, जिसका अनुसरण उनके बाद आने वाले जस्टिस भी कर सकते हैं।