कश्मीर में दस साल बाद उमर सरकार, एलजी से बढ सकती है तकरार
खरी खरी संवाददाता
श्रीनगर, 16 अक्टूबर। जम्मू-कश्मीर मे दस साल बाद कोई नई सरकार सत्तारूढ़ हुई है। विधानसभा चुनावों में बहुमत पाने वाली पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के विधायक दल के निर्वाचित नेता उमर अबदुल्ला को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके साथ सुरेंद्र चौधरी ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। चार मंत्रियों की भी शपथ दिलाई गई है। कांग्रेस सरकार मे ंशामिल नहीं हुई है, जबकि उसका नेशनल कांप्रेंस से चुनाव पूर्व गठबंधन था।
श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने उमर और उनके मंत्रियों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला केंद्र शासित प्रदेश के पहले और जम्मू-कश्मीर में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। इस मौके पर इंडिया गठबंधन ने शक्ति प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, NCP शरद गुट से सुप्रिया सुले, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, CPI से डी राजा और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।
जम्मू कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश है। केंद्र ने उपराज्यपाल की शक्तियां पहले ही बढ़ा दी हैं। उमर अब्दुल्ला इसके पहले पूर्ण राज्य के दर्जे वाले कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ऐसे में एलजी और सीएम के बीच अधिकारों के टकराव की आशंकाएं जताई जा रही हैं। चुनाव नतीजे आने के बाद और नई सरकार बनने से पहले जम्मू-कश्मीर के एलजी के नेतृत्व वाले प्रशासन के 24 घंटों के बीच लिए दो फ़ैसले इस बात का संकेत दे रहे हैं। इनमें पहला फैसला राज्य में पुलिस की सभी सीधी भर्तियां राज्य लोकसेवा आयोग के जरिए कराए जाने का है। अभी तक पुलिस विभाग में रिक्तियों को भरने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस का अपना भर्ती बोर्ड था। इस बदलाव का आदेश एलजी आफिस ने 10 अक्टूबर को जारी किया है। इसके लिए जम्मू और कश्मीर पुलिस (गज़ेटेड) सेवा भर्ती नियम, 2024 बनाए गए हैं। दूसरा फैसला प्रमोशन या पदोन्नति के मामले डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमिटी (डीपीसी) के जरिए कराए जाने का है। संशोधित नियमों के मुताबिक़ जम्मू-कश्मीर पुलिस लेफ़्टिनेंट गवर्नर के नियंत्रण में आती है और उसके कामकाज में मुख्यमंत्री की कोई भूमिका नहीं होगी। इस आदेश के एक दिन बाद 11 अक्टूबर को लेफ़्टिनेंट गवर्नर प्रशासन ने जम्मू और कश्मीर सिविल सेवा (विकेंद्रीकरण और भर्ती) अधिनियम, 2010 के तहत भर्ती नियमों में संशोधन को अधिसूचित किया। इस संशोधन के मुताबिक़ जम्मू-कश्मीर के सर्विस सिलेक्शन बोर्ड को सरकार के सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू), सरकारी कंपनियों, निगमों, और बोर्ड में सबोर्डिनेट सर्विसेज़ और नॉन-गज़ेटेड पदों के साथ-साथ चौथी श्रेणी (क्लास 4) की भर्तियां करने का भी अधिकार होगा। इस आदेश का सीधा मतलब ये है कि नई सरकार के लिए क्लास 4 स्तर के खाली पदों को भरना भी मुश्किल होगा।
इसी साल जुलाई में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक कार्यकारी अधिसूचना के ज़रिये ट्रांज़ैक्शन ऑफ़ बिज़नेस रूल्स में संशोधन करके जम्मू-कश्मीर के एलजी के प्रशासनिक अधिकारों को बढ़ा दिया था। इन नए नियमों के तहत एलजी को उन ऑल इंडिया सर्विसेज़ के कामकाज पर अंतिम अधिकार दे दिया गया था जिनमे केंद्र शासित प्रदेश की वरिष्ठ नौकरशाही शामिल है। नए नियमों के तहत एंटी-करप्शन ब्यूरो, डायरेक्टरेट ऑफ़ पब्लिक प्रॉसिक्युशन्स, जेल विभाग, और फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी को भी एलजी के नियंत्रण में दे दिया गया है। साथ ही इन नियमों में कहा गया कि एडवोकेट जनरल और अन्य लॉ अफ़सरों की नियुक्ति पर भी अंतिम मंज़ूरी एलजी की होगी।जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट 2019 का सेक्शन 32(1) कहता है कि विधानसभा केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के लिए क़ानून बना तो सकती है, लेकिन ऐसा वो उन्हीं मामलों में कर सकती है, जो स्टेट लिस्ट (राज्य सूची) में शामिल हैं। लेकिन राज्य सूची में भी 'पब्लिक ऑर्डर' और 'पुलिस' से जुड़े मामलों पर केंद्र-शासित जम्मू-कश्मीर की विधान सभा क़ानून नहीं बना सकती। इसी तरह विधान सभा कॉन्करेन्ट लिस्ट (समवर्ती सूची) में दर्ज मामलों में तभी क़ानून बना सकती है अगर वो मामले केंद्र शासित प्रदेशों से सम्बंधित हों। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट 2019 के सेक्शन 36 के मुताबिक़ वित्तीय मामलों से जुड़े कोई भी विधेयक लेफ़्टिनेंट गवर्नर की सिफ़ारिश से ही विधानसभा में पेश किए जा सकते हैं।
इसलिए इस बात की भी चर्चा है कि क्या एलजी की मंज़ूरी के बिना जम्मू-कश्मीर की नई सरकार कोई भी ऐसा काम कर पाएगी जिसमें सरकारी ख़जाने से पैसा ख़र्च किया जाना हो। हाल में हुए ये कानूनी बदलाव एलजी और मुख्यमंत्री के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर का नया मंत्रिमंडल
उमर अब्दुल्ला- मुख्यमंत्री
सुरिंदर चौधरी- उपमुख्यमंत्री
सतीश शर्मा- मंत्री
जावेद राणा- मंत्री
सकीना इट्टू- मंत्री
जावेद अहमद डार- मंत्री