चुनौतियों से जूझकर नया रास्ता निकालना मोहन यादव की सबसे बड़ी खूबी
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 11 दिसंबर। नई चुनौतियों से जूझना और फिर अपना रास्ता निकालना मोहन यादव की सबसे बड़ी खूबी है। इसलिए उन्होंने मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में वह काम किया जो सबकी नजर में भले ही नहीं आया लेकिन समाज की बेहतरी के लिए आरएसएस चाहता था। इसलिए वे आरएसएस की गुड बुक में गिने जाते हैं। उन्होंने नई शिक्षा नीति को मध्यप्रदेश में लागू करने के लिए जीतोड़ कोशिश की और सफल रहे। उनके सीएम बनने में इस सफलता की भी बड़ी भूमिका है।
डॉक्टर मोहन यादव ने उज्जैन माधव विज्ञान महाविद्यालय से पढ़ाई की है। साथ ही यही वो समय था जब वह राजनीति के गुर सीख रहे थे और राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगे। जिसके बाद मोहन को पहली बार 1982 में छात्र संघ का सह सचिव चुना गया।
मोहन यादव का राजनैतिक कैरियर
1982 में मोहन यादव को पहली बार छात्र संघ का सह सचिव बनाया गया।
1984 में वह छात्र संघ के अध्यक्ष और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नगर मंत्री चुने गए।
1989 में मोहन यादव को प्रदेश इकाई की परिषद के मंत्री नियुक्त किया गया। साथ ही 1991 में राष्ट्रीय परिषद का मंत्री बनाया गया।
2002 में मोहन यादव को विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की कार्यकारी परिषद का सदस्य चुना गया था।
2011 में उन्हें पहली बार दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। वे पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष बनाए गए।
2013 में उन्होने पहली बार उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से चुनाव जीता और विधायक बने।
2018 में उन्होने दूसरी बार उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक चुना गया।
2020 में बीजेपी की सरकार बनने पर मोहन यादव को कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
2023 में तीसरी बार विधायक और पहली बार बने मुख्यमंत्री
मोहन यादव अलग हटकर काम करते हैं. वे 2021 में उस समय विवाद का हिस्सा रहे, जब उन्होने उच्च शिक्षा विभाग के एक कानून को लेकर बयान दिया था।कानून में कहा गया था कि जिस छात्र के नाम आपराधिक रिकॉर्ड है, उसे कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। हालांकि बाद में यह कानून का वापस ले लिया।