खबरें लीक करने वालों की खैर नहीं...

May 11, 2017

सुमन

भोपाल, 11 मई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बात से बेहद खफा हैं कि कैबिनेट सहित कई महत्वपूर्ण बैठकों में होने वाली अनौपचारिक चर्चाएं बैठक के बाहर चर्चा का विषय बन जाती हैं। यह चर्चाएं मीडिया में सुर्खियां बन जाती हैं और बैठकों में होने वाले महत्वपूर्ण फैसले मीडिया में जगह नहीं ले पाते। इससे बचने के लिए मुख्यमंत्री ने मंत्रियों पर लगाम कसने की तैयारी शुरू कर दी है।

कैबिनेट की पिछली कुछ बैठकों में मंत्रियों के बीच आपसी विवाद इतने ज्यादा बढ़ गए कि मुख्यमंत्री को कहना पड़ा कि दो विभाग दो देशों की तरह लड़ रहे हैं। मंत्रियों का यह विवाद और मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी कैबिनेट की बैठक के बाद होने वाली अनौपचारिक चर्चा में हुई। इसके बावजूद यह चर्चाएं मीडिया में सुर्खियां बन गईं। एक बैठक में यशोधराराजे सिंधिया ने एक आईएस अफसर पर अपना विभाग बदलवाने का आरोप लगाया। उन्होंने इस मुद्दे पर सीएम से भी तल्ख लहजे में बात की, यह चर्चा मीडिया की सुर्खियां बन गई। पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव ने अपने प्रमुख सचिव राधेश्याम जुलानिया की कार्यशैली पर आपत्ति दर्ज कराई। मुख्यमंत्री के यह कहने पर कि “बात उन तक क्यों नहीं पहुंचती” , गोपाल भार्गव ने तल्ख लहजे में जबाव दिया था। यह खबर भी मीडिया में सुर्खियां बन गई। पिछले कुछ समय से इस तरह की घटनाएं लगभग हर बैठक में होने लगी हैं। बैठक के अन्दर की इस तरह की चर्चाएं इतनी तेजी से बाहर आती हैं कि सरकार के लिए उन्हें रोक पाना मुश्किल हो जाता है। बैठकों के तुरंत बाद मीडिया को ब्रीफिंग करने वाले जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा को इससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनके द्वारा बैठक में हुए फैसलों की जानकारी दिए जाने के पहले ही पत्रकारों की ओर से बैठक की लड़ाई झगड़े वाली बातों पर सवाल होने लगते हैं। ब्रीफिंग में अस्सी फीसदी सवाल आपसी कहासुनी को लेकर ही होते हैं। प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद रहने वाले जनसम्पर्क के कमिश्नर और डायरेक्टर चुप्पी साध लेते हैं। सारे सवालों का सामना नरोत्तम मिश्रा को ही करना पड़ता है। उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की।

मुख्यमंत्री को नरोत्तम मिश्रा के अलावा भी अन्य कई प्रमुख लोगों ने शिकायतें की थीं इसलिए अब इस तरह चर्चाएं बाहर आने पर रोक के उपाय किए जा रहे हैं। पिछली एक बैठक में सभी मंत्रियों के मोबाइल बन्द करा दिए गए। मंत्रियों से वन-टू-वन चर्चा में भी मुख्यमंत्री ने इस बात पर सख्त नाराजगी जताई। अब कोशिश की जा रही है कि अनौपचारिक चर्चा के समय अधिकारियों को बैठक से बाहर कर दिआ जाए, सिर्फ मंत्री और बड़े अधिकारी ही बैठक में रहें। मुख्यमंत्री सचिवालय में अनौपचारिक रूप से इंटेलिजेंस को भी सतर्क कर दिया है ताकि यह पता चल सके कि अन्दर की खबरें बाहर कौन-कौन से मंत्री या अधिकारी ज्यादा फैलाते हैं। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद कई मंत्री भी उनके समर्थन में खड़े हैं। राज्यमंत्री दीपक जोशी कहते हैं कि इस तरह अन्दर की खबरें लीक करना अच्छा नहीं है। वहीं नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि मंत्रीगण अफसरशाही से परेशान हैं, वह मुख्यमंत्री के कामकाज के तरीकों से दुःखी हैं इसलिए वह अन्दर की खबरें मीडिया को बताकर अपना मन हल्का कर लेते हैं।

मुख्यमंत्री के संकेत को मंत्रालय के बड़े अफसर और इंटेलिजेंस के अधिकारी समझ गए हैं इसलिए वह अपने तरीके से इस तरह की ऑफ द रिकार्ड ब्रीफिंग को रोकने की कोशिश में जुट गए हैं।

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