कैलाश का केजरीवाल पर निशाना, स्कूलों में पढ़ाएं हनुमान चालीसा

Feb 12, 2020

खरी खरी संवाददाता

नई दिल्ली, 12 फरवरी। दिल्ली के सियासी दंगल में आप की बम्पर जीत ने सियासत के मायने ही बदल दिए हैं। इस चुनाव में हारने वाले और जीतने वाले दोनों ही सकते में हैं। तभी तो बम्पर जीत के बाद भी आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल चुनाव के आखिरी दौर में बनाई गई अपनी हनुमान भक्त की इमेज को एकदम से तोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाए और जीत का श्रेय रामभक्त हनुमान के खाते में डाल दिया। वहीं हार से सकते में आई खुद को रजिस्टर्ड रामभक्त मानने वाली भाजपा इस मुद्दे पर सियासत का नया दांव खेलने की कोशिश में जुट गई है। तभी तो भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय दिल्ली के तख्त ए ताऊस पर बैठे अरविंद केजरीवाल को बधाई देने में भी धर्म की सियासत कर बैठे। उन्होंने दिल्ली के सभी स्कूलों, मदरसो सहित सभी शैक्षणिक संस्थानों में हनुमान चालीसा का पाठ जरूर कराने की सलाह केजरीवाल को दे दी।

दिल्ली के पूर्व, वर्तमान और भावी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल संभवत: अब नई दुविधा में फंस गए हैं। दिल्ली के दंगल में अंतत: वे भाजपा के बुने जाल में उलझ ही गए और खुद को हनुमान भक्त साबित करना पड़ा। अब जब वे अपने परंपरागत मतदाताओं की दम पर ही चुनाव जीत गए तो नया संकट सामने आ गया है। अब वे हनुमान जी को नहीं छोड़ पा रहे हैं। उन्होंने जीत के बाद ही इसका प्रमाण भी दे दिया। केजरीवाल ने जीत का श्रेय हनुमान जी के खाते में डाल दिया। पूरे चुनाव तक केजरीवाल की हनुमान भक्ति पर तंज कसती रही भाजपा को शायद यह हजम नहीं हो रहा है कि केजरीवाल अभी भी…. बेगि हरो हनुमान महाप्रभु जो कछु संकट होय हमारो….. का जाप कर रहे हैं। खुद को राम की रजिस्टर्ड भक्त मानने वाली भाजपा के धुरंधर नेता राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इसी संर्दभ में बात आगे बढ़ा दी। ट्वीट करके केजरीवाल को बधाई देते हुए विजयवर्गीय ने दिल्ली के शैक्षणिक संस्थानों में हनुमान चालीसा पढ़ाने का सुझाव दे दिया। इस पर बवाल मचना तय था, केजरीवाल और उनकी आप समय की नजाकत को समझते हुए खामोश रहे लेकिन भाजपा के रामभक्त पंजीयन का विरोध करने वाली कांग्रेस खामोश नहीं बैठी। उसने बीजेपी पर नफरत फैलाने का इल्जाम मढ़ दिया।

कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट किया, ''अरविंद केजरीवाल जी को जीत की बधाई। निश्चित ही जो हनुमानजी की शरण में आता है उसे आशीर्वाद मिलता है। अब समय आ गया है कि हनुमान चालीसा का पाठ दिल्ली के सभी विद्यालयों, मदरसो सहित सभी शैक्षणिक संस्थानों में भी जरूरी हो। बजरंगबली की कृपा से अब 'दिल्लीवासी' बच्चे क्यों वंचित रहें?'' कैलाश विजयवर्गीय का यह व्यंग्यबाण शायद इसीलिए चला है कि अपने को आम आदमी कहने वाला एक सियासतदार राम भक्त हनुमान की शरण में जाकर दिल्ली का बादशाह बन गया और वह बादशाहत के बाद भी वह इसका श्रेय हनुमानजी को दे रहा है। जबकि भाजपा को लग रहा था कि चुनाव बाद केजरीवाल हनुमान जी को भूल जाएंगे और भाजपा को एक नया मुद्दा मिल जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसलिए भाजपा अपने नेता के बयान पर अलग ही सफाई दे रही है।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने जो भी सोचकर केजरीवाल को बधाई में धार्मिक सियासत की है, लेकिन एक बाद भाजपा के नेताओं को समझनी होगी की आपने राम दरबार में सिर्फ राम को ही पूजा और सफलता पाई है। ऐसें में विपक्ष उसी राम दरबार के बड़े महारथी हनुमान जी की शरण में पहुंचकर भाजपा के लिए चुनौती खड़ी कर रहा है। भाजपा को यह भी याद रखना होगा कि राम ने खुद प्राण त्याग कर बैकुंठ जाने के पहले हनुमान जी को अजर अमर होने का आशी‍र्वाद दिया था। शायद यही भय भाजपा को चिंतित कर रहा है।