कमल से रार और हार के बाद दीपक जोशी की घर वापसी
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 7 नवंबर। मध्यप्रदेश में भाजपा के संस्थापकों और कर्णधारों में शुमार प्रदेश के पूर्व सीएम और संत राजनेता स्वर्गीय कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी की कमल से रार और हार के बाद घर वापसी हो गई है। करीब आठ महीने से घर वापसी के लिए प्रयासरत दीपक जोशी ने गुरुवार को बुधनी विधानसभा क्षेत्र के नांदनेर में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
करीब डेढ़ साल पहले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। कमल से रार (भाजपा से नाराजगी)के बाद दीपक जोशी ने उस भाजपा को अलविदा कह दिया जिसके पौधे को उनके पिता ने सींचकर पृक्ष बनाया। कभी शिवराज सरकार में मंत्री रहे दीपक जोशी ने पार्टी छोड़ते समय शिवराज सिंह के खिलाफ खुला विद्रोह किया और सार्वजनिक तौर पर शिवराज सिंह पर तमाम गंभीर और अवमानना जैसे आरोप लगाए थे। उन्हीं दीपक जोशी की घर वापसी हुई तो उन्हीं शिवराज सिंह ने गले लगाकर स्वागत किया। कमल से रार के बाद दीपक की कमल से हार भी हो गई। उन्होंने खातेगांव सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, उन्हें 12,542 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा में दीपक जोशी की वापसी का मामला पहले भी चर्चा में रहा है। आठ महीने पहले ही उनकी पार्टी में घर वापसी की तैयारी पूरी हो चुकी थी, लेकिन अंतिम समय में सहमति नहीं बनने के कारण यह कार्यक्रम टल गया था। तब दीपक जोशी ने स्वयं कहा था, "मैं सुबह का भूला हूं, जो शाम को घर लौट आया हूं," जिससे उन्होंने भाजपा में लौटने की इच्छा जाहिर की थी। दीपक जोशी की वापसी को भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, खासकर आगामी चुनाव के मद्देनजर। उनके लौटने से पार्टी को बुधनी क्षेत्र में शिवराज सिंह चौहान के साथ और अधिक मजबूती मिलने की संभावना है। दीपक जोशी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे और शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद जोशी की पार्टी में अहमियत घटने लगी। इसके साथ ही यह लगभग तय हो गया था कि 2023 के चुनाव में उनका टिकट कट जाएगा। इस कारण दीपक जोशी ने कांग्रेस का रुख किया। कांग्रेस में शामिल होते समय उन्होंने भावुक होकर आंसू भी बहाए थे। कांग्रेस में शामिल होने पर उन्हें खातेगांव से टिकट मिला और उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाए। चुनाव में हार के बाद जोशी का कांग्रेस से मोहभंग हो गया, और कुछ ही महीनों में उन्होंने बीजेपी में वापसी की तैयारी शुरू कर दी थी।