ओला प्रभावितों पर सियासी मरहम

Feb 08, 2017

सुमन 'रमन'

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उप चुनावों से मुक्ति नहीं मिल रही है। मुख्यंत्री एक चुनाव से निपटते हैं तब तक दूसरा चुनाव सामने आ जाता है। अभी कुछ दिन पहले ही नेपानगर विधानसभा और शहडोल लोकसभा सीट के उपचुनाव से सरकार फारिग हुई है । अब अटेर और बांधवगढ़ विधानसभा सीटों के उपचुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। चुनाव आयोग ने अभी चुनाव की तारीखें घोषित नहीं की हैं, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दोनों सीटों पर जीत की भूमिका बनाने में जुट गए हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने शहडोल लोकसभा उपचुनाव जीत लिया। इसलिए लग रहा है कि शहडोल से विजयी हुए मंत्री ज्ञानसिंह के इस्तीफे से खाली हुई बांधवगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत आसान होगी, लेकिन भिंड जिले की अटेर विधानसभा सीट पर जीत मुश्किल दिख रही है। यह सीट विधानसभा में नेता  प्रतिपक्ष रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता सत्यदेव कटारे के निधन से खाली हुई है। उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से कटारे के पुत्र हेमंत कटारे को मैदान में उतारे जाने की पूरी उम्मीद है। ऐसे में कांग्रेस को सहानुभूति वोट मिलेंगे। यह सीट विधानसभा के मुख्य चुनाव में कटारे ने भाजपा के अरविंद भदौरिया को हराकर जीती थी। बीजेपी की तरफ से एक बार फिर भदौरिया को ही मैदान में उतारे जाने की पूरी संभावना है। भदौरिया चुनाव की तैयारी में भी जुट गए हैं। लेकिन भाजपा के कई क्षेत्रीय नेता भदौरिया को टिकट दिए जाने के खिलाफ हैं। इन नेताओं में पूर्व विधायक मुन्ना भदौरिया, पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह आदि शामिल हैं। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए दिग्गज नेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी भी अरविंद भदौरिया के पक्ष में दिखाई नहीं देते। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के कार्यकर्ता इस बात को समझ रहे हैं। लेकिन आरएसएस और बीजेपी के दिग्गज नेता रहे वर्तमान में हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी का दबाव अरविंद सिंह भदौरिया के लिए बना हुआ है।
सियासी समीकरणों को देखते हुए एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मैदान में उतर पड़े हैं। चुनाव की तैयारी के बहाने किसानों की खोज खबर ली जा रही है। ओला प्रभावितों पर मरहम लगाया जा रहा है और विकास कार्यों की भूमिका बांधी जा रही है। मुख्यमंत्री अटेर में जीत को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते, इसलिए अभी से पूरी ताकत झोंक रहे हैं। हाल ही में उन्होंने भिंड जिले में ओला प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। अटेर क्षेत्र के एक गांव में सभा को संबोधित किया। चंबल एक्सप्रेस-वे से चंबल अंचल के सभी जिलों को जोड़ने की घोषणा की। भिंड जैसे छोटे से जिले में मुख्यमंत्री की इतनी सक्रियता और घोषणाओं का अंबार साफ संकेत देता है कि चुनाव नजदीक हैं और मुख्यमंत्री इसे हर हाल में जीतना ही चाहते हैं। जीत की रणनीति में आने वाली राजनीतिक बाधाओं को भी दूर करने की कोशिश में जुटे हैं। जिस दिन मुख्यमंत्री की भिंड मे सभा थी उसी दिन टिकट के प्रबल दावेदार मुन्ना भदौरिया को बीज निगम का उपाध्यक्ष बना कर लाल बत्ती थमा दी गई। टिकट के अन्य दावेदारों को भी कोई न कोई काम दिए जाने की संभावना बढ़ गई है। मुख्यमंत्री जीत की रणनीति में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। इसलिए किसी न किसी बहाने भिंड और विशेषकर अटेर के मतदाताओं की चिंता कर रहे हैं।