एमपी पीएससी के पेपर में आए सवाल से बवाल, सीएम ने दिए जांच के आदेश
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 13 जनवरी। मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग की परीक्षा में पूछे गए एक सवाल के चलते विवाद खड़ा हो गया है। इस सवाल में भी जनजाति को आपराधिक प्रवृत्ति का बताया गया है। इसके कारण भाजपा ने सरकार पर हमला बोला है तो कांग्रेस के विधायक लक्ष्मण सिंह ने तो मुख्यमंत्री से माफी मांगने तक की मांग कर डाली है। वहीं व्हिसल ब्लोअर इस मामले में आयोग के अधिकारियों पर नामजद एफआईआर करने की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग ने रविवार को विभिन्न पदों के लिए परीक्षा का आयोजन प्रदेश बर में बनाए गए विभिन्न सेंटरों पर किया था। इस परीक्षा में भील जनजाति को लेकर एक गद्यांश दिया गया था। इसके आधार पर कई सवाल पूछे गए थे। इन्हीं सवालों और गद्यांश को लेकर बताया जा रहा है कि भील जनजाति का अपमान किया गया है। गद्यांश के आधार पर प्रश्न पूछा गया और बताया गया कि भील जनजाति शराब के अथाह सागर में डूबती जा रही है। समाज के लोग गैर वैधानिक और अनैतिक कामों में संलिप्त हो जाते हैं। भीलों की आपराधिक प्रवृत्ति का कारण देनदारियों को पूरा न करना है। भील की आर्थिक विपन्नता का कारण आय से अधिक खर्च करना है। इस सवाल को लेकर बवाल मच गया है। विपक्ष में बैठी भाजपा को सरकार पर हमला बोलने का बड़ा मौका मिल गया है।
इस सवाल को लेकर सरकार अपनों के भी निशाने पर है। सोशल मीडिया पर इसे लेकर जिम्मेदारों पर FIR दर्ज करने की मांग उठने लगी है। व्यापम घोटाले के व्हिसल ब्लोअर डा आनंद राय ने ट्वीट कर एट्रोसिटी एक्ट के तहत मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की सचिव रेणु पंत और आयोग के अध्यक्ष के विरुद्ध नामजद एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। कांग्रेस के सीनियर विधायक लक्ष्मण सिंह ट्वीट करके इस पर मुख्यमंत्री से माफी मांगने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस के एक अन्य विधायक हीरा सिंह अलावा ने सीएम को चिट्ठी लिखकर आयोग के अध्यक्ष और सचिव को बर्खास्त करने की मांग की है। इस परीक्षा में एक परीक्षार्थी के रूप में सम्मिलित हुए पंधाना के भाजपा विधायक राम डांगोरे ने कहा सरकार और मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इस ग़लती के लिए माफी मांगें। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करके प्रश्न पत्र बनाने वाले लेखक तथा जिस किताब से अंश लिया गया है उस किताब पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर बैकफुट पर है। कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने मामले कि निंदा की है। लोक सेवा आयोग ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि पेपर सेट करने वाले सेटर और माडरेटर को शो काज नोटिस दिए गए हैं। आयोग अपनी सीमाओं के भीतर हर संभव कारवाई करेगा।
सरकार और लोकसेवा आयोग अब इस मामले में कितनी ही सफाई देते रहें लेकिन तीर हाथ से निकल चुका है। आदिवासी समुदायों को लेकर सरकार की संवेदनशीलता बहुत अधिक होती है। ऐसे में सरकारी तंत्र से इतनी बड़ी चूक से बवाल मचना तय था। व्हिसल ब्लोअर और भाजपा को तो सियासी दांव पेंच कहकर हासिए पर किया जा सकता है, लेकिन कांग्रेस के बड़े नेताओं द्वारा सवालिया निशान सरकार के लिए मुश्किल कर रहा है। इसका गाज लोकसेवा आयोग पर गिरना तय है।