एमपी की मोहन यादव कैबिनेट का विस्तार भी चौंकाने वाले अंदाज में ही होगा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 20 दिसंबर। तमाम दावों के विपरीत मध्यप्रदेश की मोहन यादव कैबिनेट का विस्तार सीएम की शपथ के सात दिन बाद भी नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री डा मोहन यादव और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की दिल्ली में हाईकमान से लंबी चर्चा के बाद भी मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल की तस्वीर अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है। इससे यह माना जा रहा है कि कैबिनेट का विस्तार भी सभी को चौंकाने वाले अंदाज में ही होगा।
मध्यप्रदेश में नई सरकार का गठन हुए करीब एक हफ्ता पूरा हो गया है। यह माना जा रहा था कि कैबिनेट का विस्तार बहुत जल्द हो जाएगा। मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की दिल्ली में पार्टी हाईकमान से चर्चा के बाद तो मान लिया गया कि सब कुछ तय हो गया है। लेकिन यह सब मीडिया की कयासबाजी से अधिक कुछ भी नहीं निकला। मुख्यमंत्री मोहन यादव का साफ कहना है कि सब राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा। यह माना जा रहा है कि राष्ट्रीय नेतृत्व अपने फार्मूले के अनुसार कैबिनेट बनवाएगा। बताया जा रहा है कि अलग-अलग स्तर पर मंथन कर मंत्रियों के चयन का फार्मूला तैयार कर लिया गया है। पार्टी ने दो लाइन स्पष्ट कर दी है। पहली, मंत्रिमंडल में सभी संसदीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व रहेगा। दूसरा, तीन बार मंत्री रह चुके नेताओं को जगह नहीं मिलेगी। इसमें भी अंततः हाईकमान की ही चलेगी। शायद इसीलिए दिल्ली से बैठक करके लौटे मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने विधानसभा में मीडिया से कहा कि यह राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा कि, मध्य प्रदेश में किसे मंत्री बनाना है। यह कहकर उन्होंने यह साफ कर दिया कि वे किसी तरह के सियासी विवाद में नहीं पड़ेंगे। इसका सीधा मतलब है कि राष्ट्रीय नेतृत्व के अनुसार मंत्रीमंडल बनाकर मुख्यमंत्री लोकसभा चुनाव तक हर तरह के विवाद को टालेंगे।
इस बार विधानसभा में बीजेपी के विधायकों की न सिर्फ संख्या अधिक है बल्कि दिग्गज नेताओं का भी पलड़ा भारी है। इनमें से नरेंद्र सिंह तोमर स्पीकर बना दिए गए लेकिन प्रह्लाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, जैसे राष्ट्रीय नेता और गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, जयंत मलैया, गिरीश गौतम जैसे राज्य के दिग्गज नेता भी सदन के सदस्य हैं। सिंधिया खेमे के गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युमन सिंह तोमर, तुलसी सिलावट, डा प्रभुराम चौधऱी भी चुनाव जीतकर आए हैं। रीति पाठक, कृष्णा गौर जैसी महिला विधायकों को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। संघ की पसंद के विधायकों की संख्या भी कम नहीं है। ऐसे में मंत्रियों का चयन करना बहुत बड़ी चुनौती होगी। लेकिन मोहन यादव जैसे तीसरी पंक्ति के नेता को सीएम बना देने वाले नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए यह कोई चुनौती नहीं है। शायद इसीलिए सीएम मोहन यादव और पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा भी चाहते हैं कि कैबिनेट के गठन का फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व ही ले तो ज्यादा ठीक रहेगा। राष्ट्रीय नेतृत्व के फैसले पर नाक भौं सिकोड़ने की स्थिति में फिलहाल कोई नेता, विधायक, क्षत्रप नहीं है।