एमपी का टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार, 785 टाइगर के साथ नंबर-1
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 29 जुलाई। मध्यप्रदेश एक बार फिर टाइगर स्टेट का दर्जा बनाए रखने में कामयाब रहा है। राष्ट्रीय बाघ सरंक्षण प्राधिकरण द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में 785 बाघ पाए गए हैं। यह पिछली बार की तुलना में 259 ज्यादा है।
राष्ट्रीय बाघ सरंक्षण प्राधिकरण द्वारा राज्यवार बाघों के आंकड़े जारी कर दिए हैं। मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 785 टाइगर पाए गए हैं। इसी के साथ ही एमपी फिर टाइगर स्टेट बन गया है। पिछली बार 2018 में जब गिनती हुई थी, तब प्रदेश में टाइगर की संख्या 526 थी। इस साल तक 259 टाइगर बढ़े हैं। वहीं कर्नाटक 563 टाइगर के साथ दूसरे स्थान पर और उत्तराखंड 560 टाइगर के साथ तीसरे नंबर पर है।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर बधाई दी है। सीएम ने लिखा- अत्यंत हर्ष की बात है कि हमारे प्रदेशवासियों के सहयोग और वन विभाग के अथक प्रयासों के फलस्वरूप, चार वर्षों में हमारे प्रदेश में जंगल के राजा बाघों की संख्या 526 से बढ़कर 785 हो गई है। मैं पूरे प्रदेश की जनता को, वन एवं वन्यप्राणियों के संरक्षण में उनके सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद और बधाई देता हूं। आइए हम सब मिलकर अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर भावी पीढ़ियों के लिए प्रकृति संरक्षण का पुनः संकल्प लें।एमपी के खुले जंगलों में 222 बाघ है। वहीं टाइगर रिजर्व एरिया में कुल 563 बाघ मौजूद है। सबसे ज्यादा बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 165 बाघ है। कान्हा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व में 129 बाघ, पन्ना टाइगर रिजर्व में 64 बाघ, पेंच टाइगर रिजर्व में 123 बाघ, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 62 बाघ और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व 20 बाघ है।बता दें कि हर चार साल में देशभर में राज्यवार बाघों की संख्या के आंकड़े जारी किए जाते हैं। इससे पहले साल 2018 में आंकड़े जारी हुए थे, तब MP में 526 बाघ थे। जो देशभर में सबसे ज्यादा संख्या थी। इस बार यह संख्या बढ़कर 785 हो गई है। और टाइगर स्टेट का तमगा फिर मिल गया है।