आओगे जब तुम ओ साजना.... अंगना फूल खिलेंगे...
खरी खरी संवाददाता
भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में रविवार की शाम शास्त्रीय गायन वादन पर आधारित संगीत सारंग एवं भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुतियां हुईं। यह कार्यक्रम गायन, वादन एवं नृत्य प्रस्तुतियों पर एकाग्र श्रृंखला उत्तराधिकारमें हर सप्ताह होने वाले कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत ग्वालियर से शिरकत करने आए अशोक आनंद ने अपने साथी कलाकारों के साथ संगीत सारंग से की। जिसमें सर्वप्रथम कलाकारों ने विश्व विख्यात संगीत साधक पंडित राजन साजन मिश्र की कालजयी रचना गुरु वंदना साधो ऐमा ही गुरु भावे राग रंग का भर-भर प्याला प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। गुरु वन्दना के बाद कलाकारों ने ग्वालियर घराने की बंदिशनुमा ठुमरी आज मोरी कलाई मुरक गई राग खमाज में प्रस्तुत की। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए अशोक आनन्द व कलाकारों ने राग पीलू में दादरा कागा पिया से कहियो सन्देश चोंच सोने से मढ़ईयों को अपनी मनमोहक आवाज में सुनाया। इसके बाद कलाकारों ने साधो रे मन सुरों साधो रे प्रस्तुत करते हुए अपने गायन कौशल से माँ सरस्वती का यशो गान किया। अंत में सभी कलाकारों ने आओगे जब तुम ओ साजना अंगना फूल खिलेंगे प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। गायन वाद्य यंत्रों पर अशोक आनन्द का साथ देने वालों में उमेश, रंजना, शरद, ऋषि और श्रीराम ने और तबले पर विकास ने सहयोग किया।
गायन के इस कार्यक्रम के पश्चात मुम्बई से शिरकत करने वाली रेवती श्रीनिवास राघवन ने अपने साथी कलाकारों के साथ भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुत किया। इस नृत्य प्रस्तुति की शुरूआत गणनम त्वा पर नृत्य पेश कर भगवान गणेश के रूप को मंच पर अपने नृत्य कौशल से बिम्बित किया और भगवान गणेश का यशो गान किया। नृत्य प्रस्तुति की अगली कड़ी में गणनम त्वा के बाद हरि-हरा नाट्यम पर केंद्रित नृत्य प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति में कलाकारों ने शिव और विष्णु के एक होने और बुरी ताकतों का सामना करने और बुरी ताकतों को नष्ट करने को मंच पर दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया। हरि-हरा नाट्यम के बाद शक्ति लया अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि के द्वारा महिषासुर वध को कलाकारों ने बड़ी खूबसूरती से प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में माता के स्वरूपों को भी मंच पर बिम्बित किया गया। शक्ति लया के बाद कलाकरों ने तुलसीदास द्वारा रचित वन चले राम रघुराई पर कलाकारों ने राम-सीता और लक्षमण के वन में जाने को अपने कलात्मक नृत्य कौशल से दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया। अपनी प्रस्तुति को आगे बढ़ाते हुए कलाकारों ने नृत्य प्रस्तुत करते हुए इस प्रस्तुति को विराम दिया। इस नृत्य में वाद्य यंत्रों की जुगलबंदी के साथ पारम्परिक भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुति में रेवती श्रीनिवास राघवन का साथ दिव्या बालचंद्रनए तेजश्री, नेहा जोसफ, दायित्विनी निर्मल, अनुष्का आडवाणी, दिव्या और संजना सेनापति ने दिया।