असम विधानसभा में 3 घंटे का नमाज ब्रेक खत्म करने पर सियासी बवाल
खरी खरी संवाददाता
गुवाहटी , 1 सितंबर। असम विधानसभा में शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए मिलने वाला तीन घंटे का ब्रेक समाप्त कर दिए जाने पर सियासी बवाल मच गया है। आरजेडी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिस पर भाजपा ने पलटवार किया है। वही एनडीए के सहयोगी दल जद- यू के प्रवक्ता की प्रतिक्रिया पर उन्हें पद से हटा दिया गया है।
असम विधानसभा में शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक के लिए तीन घंटे का ब्रेक दिए जाने का प्रावधान था। तीन घंटे तक सदन की कार्वाही स्थगित रहती थी। सत्तारूढ़ बीजेपी ने सालों पुराने इस स्थगन नियम को स्थगित करवा दिया है। इस फैसले पर सियासी बवाल मच गया है। बीजेपी असम प्रदेश ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा "सैदय सादुल्लाह द्वारा असम विधानसभा में जुमे की नमाज़ के लिए तीन घंटे के स्थगन के नियम को ख़ारिज कर दिया गया है। अब से सदन में जुमे की नमाज़ के लिए कोई ब्रेक नहीं हुआ करेगा।" इस पर एनडीए के घटक दल जेडीयू ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है और इसे संविधान की भावना का उल्लंघन बताया है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के नेता नीरज कुमार ने असम सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कि हिमंता बिस्वा सरमा को गरीबी उन्मूलन और बाढ़ की रोकथाम जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री की ओर से लिया गया फैसला देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। हर धार्मिक आस्था को अपनी परंपराओं को संरक्षित रखने का अधिकार है। मैं असम के सीएम सरमा से पूछना चाहता हूं कि आप रमजान के दौरान शुक्रवार की छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और दावा करते हैं कि इससे कार्य क्षमता बढ़ेगी। हिंदू परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मां कामाख्या मंदिर है - क्या आप वहां बलि प्रथा पर प्रतिबंध लगा सकते हैं।
वरिष्ठ जद यू नेता केसी त्यागी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता का प्रावधान है। किसी को भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे संविधान की भावना और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे। के सी त्यागी को पार्टी ने प्रवक्ता पद से हटा दिया है। इसे उनकी टिप्पणी पर एनडीए की मुख्य घटक भाजपा की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। एनडीए के एक और घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष राजू तिवारी ने भी असम सरकार के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि धार्मिक आचरण की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए। बिहार के इन दोनों सहयोगी दलों ने हाल ही में केंद्र के 'लैटरल एंट्री' के कदम पर भी सवाल उठाए थे, जिसके बाद फैसला वापस ले लिया गया था।आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी असम सरकार के फैसले पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाह रहे हैं। उनकी इस टिप्पणी पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने तीखी टिप्पणी की है। सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट में एन बीरेन सिंह ने लिका, है कि ऐसा लगता है कि इंडी अलायंस अज्ञानी नस्लवादियों का समूह है जिसे कि हमारे देश के इतिहास और भूगोल के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। उधर, हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने फैसले का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला हिंदू और मुस्लिम विधायकों के बीच आम सहमति से लिया गया था। सभी विधायकों की साथ बैठक हुई और इसमें सर्वसम्मति से यह संकल्प लिया गया कि दो घंटे का ब्रेक सही नहीं है। हमें इस दौरान भी काम करना चाहिए। यह प्रथा 1937 में शुरू हुई थी और अब बंद कर दी गई है।