अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि विवाद का फैसला खुद भगवान ने कराया था
खरी खरी संवाददाता
पुणे, 20 अक्टूबर। अगर देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के दावों का विश्लेषण किया जाए तो यह मानना पड़ेगा कि श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के फैसले का रास्ता खुद भगवान ने ढूंढ़ा था।
नवंबर 2019 में अयोध्या भूमि विवाद पर फैसला सुनाने वाली पीठ में शामिल रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने रविवार को अयोध्या भूमि विवाद के समाधान को लेकर संस्मरण साझा किया। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला सुनने से मैंने भगवान से प्रार्थना की थी। मुझे पूरा विश्वास था कि भगवान इसका कोई रास्ता ढूंढेंगे। ऐसा ही हुआ।पुणे स्थित अपने पैतृक गांव कन्हेरसर में आयोजित सम्मान समारोह में उन्होंने गांव के लोगों से कई यादें साझा कीं। उन्होंने कहा कि कई बार हमारे पास ऐसे मामले होते हैं, जिनके फैसले को लेकर हम किसी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसा ही हमारे साथ अयोध्या राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर हुआ था। जो तीन महीने तक मेरे सामने था। इसके फैसले को लेकर मैं भगवान के सामने बैठा और प्रार्थना की। मैनें भगवान से कहा कि मामले में सही समाधान ढूंढने की जरूरत है।सीजेआई ने कहा कि अगर आपके पास विश्वास है तो भगवान हमेशा आपको रास्ता खोजकर देंगे।इसलिए मैं रोज भगवान से प्रार्थना करता हूं।
गौरतलब है कि नवंबर 2019 में अयोध्या भूमि विवाद पर फैसला सुनाने वाली पीठ में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल थे। सभी पांच जजों के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ था। शीर्ष अदालत ने मालिकाना हक को लेकर कहा, एक ट्रस्ट का गठन कर विवादित भूमि पर राम मंदिर निर्माण होगा, जबकि मस्जिद के लिए सरकार वैकल्पिक जगह की पहचान कर पांच एकड़ जमीन आवंटित करेगी। अदालत के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त, 2020 को भूमि पूजन किया था। इसके बाद 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की थी। वहीं सीजेआई ने इस साल जुलाई में अयोध्या में राम मंदिर का दौरा किया था और प्रार्थना की थी।