शाह के तल्ख तेवरों से भाजपाई सकते में

Aug 18, 2017

 सुमन

भोपाल, 18 अगस्त। मध्यप्रदेश के तीन दिनी दौरे पर भोपाल पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भव्य स्वागत सत्कार के बावजूद बहुत तल्ख अंदाज में दिखाई दिए। स्वागत सत्कार की लंबी प्रक्रिया से नाराज अमित शाह ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान से भरी बैठक में बोल दिया कि वे किसी का भाषण सुनने नहीं आए हैं। अमित शाह मध्यप्रदेश के कई मंत्रियों और विधायकों का रिपोर्ट कार्ड देखने के बाद पहले से ही नाराज थे। स्वागत सत्कार के चलते मीटिंग लेट होने के कारण उनके तेवर और तल्ख हो गए।  

नाराज अमित शाह ने साफ कह दिया कि मंत्री हों या विधायक या फिर सांसद जो अपना परफारमेंस नहीं सुधारेंगे, उन्हें किसी भी हाल में टिकट नहीं दिया जाएगा, क्योंकि पार्टी सिर्फ 2018 का विधानसभा चुनाव नहीं बल्कि 2019 का लोकसभा चुनाव भारी बहुमत से जीतने का लक्ष्य लेकर काम कर रही है। मंत्रियों और विधायकों तथा सांसदों को जहां राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चिंता में डाल दिया, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राहत दे दी। अमित शाह ने साफ कर दिया कि पार्टी मध्यप्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चेहरा सामने रखकर लड़ेगी। जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के निवास पर प्रदेश के प्रमुख मीडिया संस्थानों के प्रमुखों से अनपौचारिक चर्चा करते हुए अमित शाह ने कहा कि अगला चुनाव शिवराज के नेतृत्व में ही लड़े जाने की उनकी बात को आधिकारिक बयान माना जाए। अमित शाह की इस घोषणा के समय खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वहां मौजूद थे। साथ ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और अनिल जैन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और विनय सहस्त्रबुद्धे, प्रकल्प प्रभारी अरविंद मेनन भी मौजूद थे। मीडिया से अनौपचारिक चर्चा के दौरान भी सरकार और संगठन के मुद्दे पर कई बार शाह के तेवर तल्ख ही दिखाई दिए। उन्होंने साफ कहा कि पार्टी ने उन्हें जो जिम्मेदारी दी है, उसे वे बेहतर ढंग से निभाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि उनका टारगेट अगला विधानसभा चुनाव जीतने के साथ ही लोकसभा में प्रदेश की सभी 29 सीटों पर जीत हासिल करना है।

अमित शाह के तेवरों में तल्खी पूरे समय और हर कार्यक्रम में बनी रही। इसकी दहशत उन नेताओं के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी, जो बैठकों से बाहर निकल रहे थे। बैठक से बाहर आकर किसी ने भी मीडिया से किसी तरह की बात नहीं की। सभी का कहना था कि अध्यक्ष जी ने मना किया है। मंत्रियों और विधायकों से अनौपचारिक बातचीत में साफ लग रहा था कि अमित शाह ने जिस अंदाज में परफारमेंस सुधारने का अल्टीमेटम दिया है, उसे हल्के में लेना खतरे से खाली नहीं होगा। इसलिए आज ही यह तय हो गया कि लगभग तीस फीसदी मंत्रियों के टिकट कटना तय है। साथ ही करीब 40 फीसदी विधायकों को भी टिकट की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए। उन्होंने पार्टी के दिग्गजों को साफ कर दिया कि अब औपचारिकता नहीं चलेगी, बचे हुए समय में परफार्म करना पड़ेगा। उन्होंने बैठकों में शामिल नेताओं से कहा कि उन्हें बैलेंस शीट बताने की कोशिश कोई न करें, उन्हें सिर्फ वह जानकारी बताई जाए जो बिंदुवार मांगी गई है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के तल्ख तेवरों की चर्चा बैठकों के बाद जगह-जगह होती रही लेकिन किसी भी पार्टी नेता के मुंह से मीटिंग में हुई कोई बात नहीं निकली। भाजपाई में छाई यह दहशत बता रही थी कि अगले विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरने वाली बीजेपी काफी बदली हुई होगी।