अब सरकार के कानून से संचालित होंगे प्रदेश के 6 बड़े मंदिर

Dec 21, 2019

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 21 दिसंबर। मध्यप्रदेश के छह प्रमुख मंदिर अब ट्रस्ट के बजाय राज्य सरकार के एक कानून से संचालित होंगे। इसके लिए विधानसभा ने मप्र विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 पारित किया है। इस विधेयक में इन मंदिरों के संचालन संबंधी नियम तय किए गए हैं। इस विधेयक के अधीन उज्जैन के महाकाल मंदिर, सीहोर के सलकनपुर देवी मंदिर, खंडवा के दादाजी दरबार, छिंदवाड़ा के जाम सांवली हनुमान मंदिर, इंदौर के खजराना गणेश मंदिर, मैहर के शारदा मंदिर का संचालन होगा।

विधेयक पारित होने के बाद धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा ने बताया कि व्यवस्थाओं के लिए हर मंदिर की एक कमेटी होगी। इस कानून के लागू होने के बाद मंदिरों में लागू मौजूदा अधिनियम स्वत: समाप्त हो जाएंगे। समितियां और ट्रस्ट भी खत्म हो जाएंगे। नए अधिनियम में मंदिर के कोष, बजट, लेखा, चढ़ावा, दान आदि के लिए भी नियम तय किए गए हैं। जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने भास्कर को बताया कि नया अधिनियम लागू होने के बाद किसी भी विशेष मंदिर के लिए अलग से अधिनियम नहीं बनाना पड़ेगा। अब एक नोटिफिकेशन के जरिए मंदिर को जोड़ा जा सकेगा। समितियां और ट्रस्ट भी खत्म हो जाएंगे।नए अधिनियम में मंदिर के कोष, बजट, लेखा, चढ़ावा, दान आदि के लिए भी नियम तय किए गए हैं। जनसंपर्क मंत्री ने बताया कि नया अधिनियम लागू होने के बाद किसी भी विशेष मंदिर के लिए अलग से अधिनियम नहीं बनाना पड़ेगा। अब एक नोटिफिकेशन के जरिए मंदिर को जोड़ा जा सकेगा। संचालन समिति के प्रमुख कलेक्टर होंगे। समिति में एसपी, नगर निगम आयुक्त या मुख्य नगर पालिका अधिकारी, कलेक्टर द्वारा नामित चार द्वितीय श्रेणी स्तर के अधिकारी, सरकार द्वारा नामित दो पुजारी, राज्य सरकार द्वारा नामित दो अशासकीय ऐसे सदस्य जो धर्म-पूजा विधान के जानकार हों, कलेक्टर द्वारा नामित एक पुजारी तथा राज्य सरकार द्वारा विशेष आमंत्रित शामिल होंगे। हिंदू धर्म को मानने वाला समिति का सदस्य नहीं होगा। समिति डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी को प्रशासक नियुक्त कर सकेगी, जो कि समिति का सचिव भी होगा। समिति में शामिल सदस्यों को हटाने का भी प्रावधान किया गया है। मानसिक संतुलन बिगड़ने, कोर्ट से सजा होने, मंदिर के विरुद्ध क्रिया कलाप, छुआछूत करने पर सदस्य को हटाया जा सकेगा।