भाजपा में 75 के फार्मूले पर मच रहा सियासी बवाल

Aug 27, 2017

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 27 अगस्त। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का यह कथन कि टिकट वितरण में 75 साल का कोई फार्मूला पार्टी ने नहीं तय किया है, प्रदेश में पार्टी के अंदर सियासी बवाल मचा रहा है। पिचहत्तर साल के फार्मूले का हवाला देकर कैबिनेट से हटाए गए दोनों दिग्गज नेता बाबूलाल गौर और सरताज सिंह इस कोशिश में जुट गए हैं कि उन्हें कैबिनेट में वापस लिया जाए और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट भी दिया जाए। वहीं पार्टी का प्रदेश नेतृत्व दोनों नेताओँ की इन दोनों मांगों को पूरा करने के मूड में बिल्कुल नहीं है। इसलिए आए दिन सियासी दांव खेले जा रहे हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी तीन दिनी भोपाल यात्रा के दौरान स्पष्ट किया था कि पार्टी ने 75 साल का कोई फार्मूला तय नहीं किया है। इसलिए टिकट किसी को भी दिया जा सकता है, लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। गौरतलब है कि पिछले साल मंत्रिमंडल के विस्तार के समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो वरिष्ठ मंत्रियों बाबूलाल गौर औऱ सरताज सिंह से इस्तीफा ले लिया था। इसके पीछे कारण बताया गया था कि पार्टी हाईकमान ने 75 साल से ऊपर वालों को ड्राप करने का फैसला किया है। इस बात को सही साबित करने में मुख्यमंत्री के साथ साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान, पार्टी के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे शामिल थे। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल को भी इसमें भागीदार  बनाया गया था। इतने दिग्गज नेताओँ के दबाव के चलते गौर और सरताज ने इस्तीफा सौंप दिया था। दोनों का मानना था कि पार्टी के फैसले का सम्मान करना जरूरी है। अब जब यह बात साफ हो गई है कि  पार्टी ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया था तो दोनों नेता सियासी मैदान में सक्रिय हो गए हैं।

प्रदेश के मुख्यमंत्री तक की कुर्सी संभाल चुके बाबूलाल गौर कह रहे हैं कि वे फिट भी हैं और हिट भी हैं। लगातार 9 बार से जीत रहे गौर ने पिछला चुनाव भी पचास हजार से ज्यादा वोटों से जीता था। इसलिए कैबिनेट में जगह और टिकट के लिए उनका दावा हर तरह से मजबूत है। वहीं सरताज सिंह कह रहे हैं कि पार्टी के प्रदेश नेताओं को अब स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने किसके कहने पर मुझे कैबिनेट से बाहर करने का फैसला लिया था। सरताज भी एक तरह से टिकट की कोशिश में अभी से जुट गए हैं। दोनों नेताओं के बयानों पर मुख्यमंत्री ने भले ही चुप्पी साध ली हो, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान आए दिन कोई न कोई बयान दे देते हैं इससे बहस फिर शुरू हो जाती है। चौहान का कहना है कि पार्टी के ऱाष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह नहीं कहा है कि 75 साल वालों को टिकट देना ही है। इसलिए यह निर्णय पार्टी नेतृत्व को करना है कि किसे टिकट दिया जाएगा और किसे नहीं दिया जाएगा। उन्होंने खराब पऱर्फामेंस वाले मंत्रियों और विधायकों के टिकट काटने का अल्टीमेटम भी दे दिया। उनाक इशारा साफ है कि उम्र के फार्मूले पर राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्पष्टीकरण के बाद भी पार्टी मध्यप्रदेश में टिकट अपने पैमाने के आधार पर बांटेगी। उनके इशारे के बाद ही गौर और सरताज ज्यादा सक्रिय हुए हैं। यह सियासी चालबाजी अब टिकट बंटने तक चलते रहने की उम्मीद है।

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