आर्टीकल 35 ए हटने से क्यों डर रहीं हैं महबूबा

Jul 30, 2017

खरी खरी संवाददाता

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में लागू आर्टीकल 35 ए को बदलने या हटाने के बारे में किसी भी स्तर पर न तो अभी कोई बहस शुरू हुई है और न ही कोई फैसला हुआ है लेकिन इसमें बदलाव की सुगबुगहाट ने ही वहां हंगामा खड़ा कर दिया है। यहां तक कि जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती कह रही हैं कि अगर इसमें किसी तरह का कोई बदलाव किया गया तो जम्मू कश्मीर में तिरंगा थामने वाला भी कोई नहीं रह जाएगा।

जम्मू कश्मीर के बहुसंख्यकों सहित मुख्यमंत्री और तमाम सियासतदारों की चिंता का बडा कारण यह है कि अगर इस राज्य से 35 ए को हटा दिया गया तो यहां के बहुसंख्यकों की स्थिति अल्पसंख्यक की हो जाएगी। असल में 35 ए इस राज्य को तमाम विशेष अधिकार देने वाली कानून की धारा 370 का एक प्रमुख हिस्सा है। धारा 370 के चलते जहां जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य दर्जा का मिला है, वहीं 35 ए के चलते यहां के नागरिकों को विशेषाधिकार मिले हैं। इस आर्टीकल के अनुसार जम्मू कश्मीर का नागरिक वही व्यक्ति हो सकता है जो यहां पैदा हुआ हो। भारत का हर नागरिक इस राज्य का स्थायी नागरिक नहीं बन सकता है। गैर कश्मीरी को यहां स्थायी संपत्ति खरीदने का अधिकार नहीं है।

इस तरह के कानून जम्मू कश्मीर में तब लागू थे, जब वह स्वतंत्र राज्य था। इस राज्य को भारत गणराज्य में शामिल करते समय ही उसे धारा 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था। यह सब राज्य के साथ हुए विलीनीकरण के समझौते के तहत हुआ था। उसी के साथ आर्टीकल 35 ए भी तभी से यहां के लोगों के तमाम विशेष अधिकार दे रहा है। इस राज्य से धारा 370 हटाने की मांग हिंदूवादी तमाम संगठन वर्षों से करते आ रहे हैं। लेकिन उस पर आज तक कोई अमल नहीं हुआ। यहां तक कि इस वैचारिकता वाली सरकारें बनने के बाद भी धारा 370 हटाने की कोई कोशिश नही हुई है। हिंदू वैचारिकता वाला संगठन आरएसएस यहां किसी भी तरह देश के अन्य हिस्सों के नागरिकों को बसाना चाहता है ताकि घाटी से वर्ग विशेष का वर्चस्व समाप्त हो सके। आरएसएस का थिंक टैंक कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर ने इस दिशा में पहल की है। उसकी ओर से इस विशेषाधिकार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इसके चलते महबूबा मुफ्ती सहित तमाम कश्मीरी राजनेताओं की धड़कनें बढ़ गई हैं।

पहले से ही धारा 370 के तहत दिए गए तमाम अधिकार धीरे धीरे कम हो गए हैं। पहले इस धारा के तहत जम्मू कश्मीर की सरकार के पास सुरक्षा, विदेशी मामले और करंसी को छोड़कर सारे अधिकार होते थे। इसमें अब काफी कमी आई है। अब जम्मू कश्मीर के स्थायी नागरिकों को सर्वाधिक विशेषाधिकार आर्टीकल 35 ए के तहत ही मिले हैं। अगर इसमें कोई बदलाव किया जाता है तो इसके क्रांतिकारी परिणाम होंगे। इसलिए इसमें बदलाव की सुगबुगाहट मात्र ने घाटी के अल्पसंख्यक नेताओं की भाषा बदल दी है।