हाईकोर्ट का फैसला, आधार सिर्फ पहचान का दस्तावेज, उम्र प्रमाणपत्र नहीं
खरी खरी संवाददाता
जबलपुर, 12 नवंबर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आधार कार्ड को सिर्फ पहचान का दस्तावेज मांना है। इसे उम्र का प्रमाण पत्र नहीं माना है। हाई कोर्ट की जबलपुर स्थित मुख्यपीठ के जस्टिस जीएस आहलूवालिया की एकलपीठ ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि आधार आयु नहीं बल्कि पहचान का दस्तावेज है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने आदेश की प्रति राज्य के मुख्य सचिव को भेजने की व्यवस्था दे दी। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मुख्य सचिव सभी जिला कलेक्टरों को इस संबंध में अवगत करा दें।
मामला नरसिंहपुर अंतर्गत सिंहपुर पंचायत निवासी सुनीता बाई साहू की याचिका से संबंधित था। याचिकाकर्ता का कहना था कि उसके पति मोहनलाल साहू की करंट लगने से मृत्यु हो गई थी। लिहाजा, शासकीय योजना अंतर्गत आर्थिक सहायता के लिए आवेदन किया गया था। किंतु वह आवेदन इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि दिवंगत पति की आयु 64 वर्ष से अधिक थी, जबकि आधार कार्ड में दर्ज आयु के अनुसार मृत्यु के समय पति की आयु 64 वर्ष से कम थी। राज्य शासन की ओर से स्पष्ट किया गया कि जनपद पंचायत ने संबंधित दस्तावेजों के आधार पर पाया था कि मृतक की आयु 64 वर्ष से अधिक थी। इसके अलावा 2023 में जारी एक परिपत्र में भी यह साफ किया गया था कि आधार का उपयोग पहचान के लिए किया जाना चाहिए न कि जन्मतिथि सत्यापन के लिए। ऐसा इसलिए क्योंकि वह जन्मतिथि का प्रमाण-पत्र नहीं है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट सहित देश के अन्य हाई कोर्ट भी अपने पूर्व आदेशों में यह रेखांकित कर चुके हैं कि आधार कार्ड पहचान पत्र है न कि जन्मतिथि का प्रमाण पत्र। हाई कोर्ट के ताजा फैसले ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि आधार कार्ड को जन्म तिथि के प्रमाण पत्र के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है।