सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत बनेंगे देश के पहले सीडीएस
खरी खरी डेस्क
नई दिल्ली, 30 दिसंबर। साल 2019 की विदाई के साथ ही निवृत्तमान होने जा रहे सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत देश के पहले चार स्टार जनरल यानि चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) होंगे। उनकी नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए गए हैं। केंद्र सरकार ने रविवार को ही सीडीएस पद के लिए उम्र की सीमा बढ़ाई है।
पिछले काफी समय से देश में एक सेना प्रमुख की जरूरत महसूस की जा रही है। कारगिल युद्ध के दौरान वायुसेना और भारतीय सेना के बीच में तालमेल का अभाव साफ दिखाई दिया। वायुसेना के इस्तेमाल पर तत्कालीन वायुसेनाध्यक्ष और सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक की राय जुदा थी। भारतीय सामरिक रणनीतिकारों ने भी इस कमी को महसूस किया और सरकार से पुनः सीडीएस के गठन की सिफारिश की। यह पद सरकारी नेतृत्व के लिए सैन्य सलाहकार की भूमिका के तौर पर जरूरी है। हालांकि राजनीतिक पार्टियों और सैन्य बलों ने इसका विरोध किया है। कुछ लोगों को लगता है कि एक व्यक्ति के पास ज्यादा सैन्य शक्तियां होना संकेंद्रण समस्या को जन्म दे सकती है। 2015 में तत्कालीन रक्षा मंत्री ने इसके गठन की बात की थी। साल 2012 में गठित नरेश चंद्र समिति ने बीच का रास्ता निकालते हुए चीफ ऑफ स्टाफ समिति ;सीओएससीद्ध के स्थायी अध्यक्ष की सिफारिश की थी। वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत सीओएससी के अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है मगर इसके परिणाम आशा के अनुसार नहीं रहे हैं। सेना में सुधार के लिए गठित डीबी शेतकर समिति ने दिसंबर 2016 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। जिसमें 99 सिफारिशों सहित सीडीएस की नियुक्ति के मुद्दे को उठाया गया था।
भारत सरकार ने तीनों सेनाओं में सबसे वरिष्ठ जनरल को चीफ आफ आर्मी स्टाफ की मंजूरी दी है। तालमेल के बाबत ट्राई सर्विसेज कमान की व्यवस्था है। तीनों सेनाओं की संयुक्त कमांडर कांफ्रेंस होती है और सुरक्षा मामलों की कैबिनेट में तीनों सेनाओं के प्रमुख होते हैं। इसके अलावा तालमेलए संयुक्त आपरेशन को बढ़ावा देने के लिए अनेक उपाय किए गए है। तीनों सेनाओं ने लगातार सीडीएस के गठन की मांग की है। रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति ने भी कारगिल सीक्षा समिति की सिफारिश को मजबूती से उठायाए लेकिन केन्द्र सरकार सीडीएस के गठन से परहेज करती रही। करीब 19 साल तक यह सिफारिश ठंडे बस्ते में पड़ी रही।
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