श्रीराम मंदिर के निर्माण से सरकार के खजाने में आए 400 करोड़
खरी खरी संवाददाता
इंदौर, 10 सितंबर। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या के महासचिव चंपत राय की मानें तो श्रीराम मंदिर के निर्माण से सरकार के खजाने में थोड़े बहुत नहीं करीब 400 करोड़ रुपए जमा हुए हैं। यह राशि मंदिर निर्माण में लगने वाली विभिन्न सामग्री पर लगने वाली जीएसटी का भाग है। ट्रस्ट ने सभी खरीददारियों का भुगतान कर दिया है, इसलिए इतनी जीएसटी सरकार के खजाने में जमा हुई है।
चंपत राय इंदौर में अपने नागरिक अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे। राय ने कहा कि हमने राम मंदिर निर्माण के लिए 42 दिन तक देशव्यापी समर्पण निधि अभियान चलाया था। इसमें 10 करोड़ जनता से 2800 करोड़ रुपये एकत्र हुए हैं। पूरे मंदिर निर्माण में भारत सरकार ने ट्रस्ट के एवज में एक रुपया दिया है, उसे भी फ्रेम कर लाकर में रखा है। हमने राजस्थान के पत्थर से लेकर महाराष्ट्र की लकड़ी तक के लिए पूरा भुगतान किया है। राम मंदिर आंदोलन का जिक्र करते हुए चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन आजादी की लड़ाई से कम नहीं था। राय ने कहा अयोध्या में राम मंदिर को तोड़ कर इस देश और हिंदू समाज का अपमान किया गया। फिर से मंदिर बनाना हमारी अस्मिता से जुड़ा था, क्योंकि गुलामी की निशानियां चिपका कर नहीं रखी जाती है। यह लड़ाई देश हित के लिए की गई। राम मंदिर फिर से बनाना हिंदुस्तान की मूंछ का सवाल था। राम मंदिर हिंदुस्तान के अपमान का परिमार्जन है। राय ने कहा कि दस करोड़ लोगों से 2800 करोड़ रुपए इस मंदिर के लिए दिए। मंदिर के लिए समाज ने खून पसीने की कमाई दी है। हमने हर प्रकार के टैक्स दिए। कोई कर चोरी नहीं की।उन्होंने कहा कि हजारों संतों ने राम मंदिर के प्रति जागरण किया। ये किसी एक व्यक्ति से संभव नहीं है। 500 साल में कितने लोगों का जीवन गया, ये कोई नहीं जानता। राम का मन्दिर तोड़ना राष्ट्र,समाज का अपमान था। देश की तुलना सोते शेर से को गई है। साधु संतों ने इस शेर को जगाया और एकजुट किया।