वायनाड त्रासदीः सेना ने 16 घंटे में बना दिया पुल, मृतक संख्या 350 से ऊपर
खरी खरी डेस्क
तिरुअनंतपुरम, 3 अगस्त। केरल के वायनाड में भूस्खलन से हुई तबाही में मृतकों की संख्या साढ़े तीन सौ ऊपर पहुंच गई है। सैकड़ों की संख्या में लोग अभी भी लापता हैं। प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य का नेतृत्व कर रही भारतीय सेना ने सर्वाधिक प्रभावित दो क्षेत्रों को जोड़ने के लिए उफनती नदी पर 190 फुट लंबा वेली पुल रिकार्ड 16 घंटे में बना दिया।
केरल के वायनाड में 29-30 जुलाई की रात भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन (लैंडस्लाइड) ने भारी तबाही मचाई है। तबाही में मरने वालों की संख्या साढ़े तीन से अधिक बताई जा रही है।इन सभी शवों का पोस्टमॉर्टम हो चुका है। इनमें 218 शवों की पहचान हो चुकी है। 143 लोगों के शरीर के सिर्फ टुकड़े बरामद हुए हैं। क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्य में भारतीय सेना के साथ एनडीआरएफ, पैरामिलेट्री फोर्सेस, पुलिस, एवं संगठनों का अमला जुटा है। मुख्यमंत्री विजयन ने कहा है कि वायनाड में सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन आखिरी पड़ाव पर है, लेकिन 206 लोग अब भी लापता हैं। इन्हें खोजने में सेना, एनडीआरएफ, फॉरेस्ट, पुलिस, पैरामिलिट्री और स्वयंसेवकों समेत 1400 से ज्यादा लोग लगे हुए हैं। भारतीय सेना के मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप ने उपनती नदीं पर 190 फुट लंबा पुल बनाकर राहत एवं बचाव कार्य में लगे अमले की बड़ी मदद की है। ये बेली ब्रिज वायनाड जिले के मुंडक्कई और चूरलमाला के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों को जोड़ने में मदद करेगा। ये 24 बेली ब्रिज इरुवाझिंजिपुझा नदी पर बनाई गई है। सेना ने मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने की जानकारी दी थी। अब सिर्फ मलबे में दबे शवों को ढूंढने का काम चल रहा है। कई जगह जमीन के अंदर मलबे में 20 से 30 फीट तक शवों के दबे होने की आशंका है। लैंडस्लाइड प्रभावित इलाकों को सैनेटाइज करने के लिए डीप सर्च रडार मंगाया है। यह रडार जमीन के अंदर 80 मीटर तक की गहराई में इंसानों के फंसे होने का पता लगाता है। सेना इस रडार का इस्तेमाल बर्फीले इलाकों खासकर सियाचिन, लद्दाख में एवलांच के बाद सर्चिंग के लिए करती है।