राहुल गांधी पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने का दबाव
खरी खरी संवाददाता
ऩई दिल्ली, 16 जून। दस साल बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा पाने वाली कांग्रेस अपने पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी पर नेता प्रतिपक्ष बनने का दबाव बना रही है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी से लेकर कांग्रेस संसदीय दल तक की बैठक में यह मांग रखी जा चुकी है। कांग्रेस के साथ इंडिया गठबंधन के अन्य घटक भी लोकसभा में मोदी बनाम राहुल सियासी घमासान ही देखना चाहते हैं। इसके बावजूद अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। राहुल गांधी ने यह जिम्मेदारी संभालने के लिए सोच विचार का वक्त मांगा है।
पिछली दो लोकसभाओँ में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा कांग्रेस सहित किसी भी दल को नहीं मिला क्योंकि किसी को भी लोकसभा चुनाव में दस फीसदी सीटें हासिल नहीं हुईं। इस बार कांग्रेस ने 99 सीटें जीतकर नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने का दर्जा पा लिया है। कांग्रेस को इस मुकाम तक पहुंचाने में राहुल गांधी की भूमिका से कोई इंकार नहीं कर सकता है। उनकी भारत जोड़ो यात्रा ने पूरे देश में कांग्रेस के पक्ष में और मोदी सरकार के खिलाफ माहौल तैयार किया। इसका लाभ कांग्रेस और इंडिया गठबंधन दोनों को मिला है। इसलिए कांग्रेस के साथ इंडिया गठबंधन के नेता और सांसद भी चाहते हैं कि राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष को लीड करें। चुनाव परिणामों के बाद आयोजित कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में यह मुद्दा जोर शोर से उठाया गया। कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में भी यह मांग रखी गई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित कई नेताओं ने राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव रखा। इस पर कांग्रेस के सभी सांसद सहमत हैं, लेकिन राहुल गांधी यह जिम्मेदारी संभालने का मन नहीं बना पा रहे हैं। उन्होंने सोच विचार के लिए कुछ समय मांगा है। कांग्रेस पार्टी के भीतर मानना है कि अब वक्त आ गया है कि राहुल गांधी को आगे बढ़कर पार्टी को लीड करना चाहिए। पार्टी के एक सीनियर नेता का कहना था कि जिस तरह से राहुल गांधी ने अपनी भारत छोड़ो यात्रा के दौरान पार्टी की अगुआई की, पार्टी चाहती है कि वैसा ही नेतृत्व वह लोकसभा में पार्टी का करें। पार्टी का मानना है कि नेता प्रतिपक्ष के लिए राहुल गांधी पहली पसंद हैं और नेतृत्व की भूमिका में आने के लिए एक बेहतरीन मौका है।
पार्टी के एक अन्य नेता का कहना था कि पार्टी के भीतर यह राय पुख्ता है कि राहुल गांधी को अपने पिता वह पूर्व पीएम राजीव गांधी और मां सोनिया गांधी की तरह नेता प्रतिपक्ष बनकर सदन में लोगों के मुद्दे उठाने चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी यह जिम्मेदारी लेते हैं तो इसका फायदा उन्हें और पार्टी दोनों को होगा। एक अहम सूत्र के मुताबिक, नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में आने के बाद विपक्षी खेमे के भीतर भी राहुल गांधी को लेकर सोच बदलेगी। यात्राओं ने राहुल गांधी को एक निर्विवाद जन नेता बना दिया है, जिसका लोहा सहयोगी दलों के साथ-साथ सत्तारूढ़ दल सहित देश भी मान रहा है। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद उन लोगों की सोच भी बदलेगी, जो अब भी राहुल गांधी को लेकर असहज महसूस करते हैं।