मोदी सरकार का बड़ा दांव, तीन और भारत रत्न
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 9 फरवरी। देश की सरकार ने तीन हस्तियों को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजने का फैसला किया है। इनमें किसानों के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, देश के आर्थिक विकास को नई दिशा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव तथा हरित क्रांति के जनक वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट लिखकर इसकी जानकारी दी।
बिहार के पूर्व सीएम और अतिपिछड़े वर्ग के जननायक कर्पुरी ठाकुर और भाजपा के संस्थापकों में से एक और देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की चर्चा अभी शांत भी नहीं हुई थी कि मोदी सरकार ने तीन औऱ हस्तियों को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान करके सियासी धमाका कर दिया है। कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन के अलावा शेष चारों भारत रत्न सियासी कारणों से ही सर्वोच्च नागिरक सम्मान से नवाजे गए हैं। लोकसभा चुनाव के लिए सिर्फ सौ दिन ही बाकी हैं। ऐसे में मोदी सरकार ने कांग्रेस नेता पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हाराव को भारत रत्न देने का निर्णय कर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के वोटों को साधने की कोशिश की है। पीवी नरसिम्हाराव के पोते वीएन सुभाष पहले से ही बीजेपी के साथ हैं। इसलिए इसे भी बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। मोदी सरकार ने कांग्रेसी नेता को भारत रत्न देकर कांग्रेस पर सवालिया निशान लगा दिया है।
लोकदल के संस्थापक औऱ किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने से पश्चिमी उत्तरप्रदेश की जाट बाहुल्य 27 लोकसभा सीटें प्रभावित होंगी। इसके लिए चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक दल का सियासी गठबंधन भाजपा के साथ करने जा रहे हैं। वे अभी तक समाजवादी पार्टी के साथ थे। बताया जाता है कि जयंत ने नई डील में सीटों के बंटवारे और मंत्री पद के साथ ही अपने दादा जी को भारत रत्न दिए जाने की शर्त भी रखी थी। उनकी सबसे बड़ी शर्त मान ली गई।
तीसरा भारत रत्न भी भाजपा को दक्षिण में वोट बैंक मजबूत करने वाला माना जा रहा है। कृषि अनुवांशिकी वैज्ञानिक स्वामीनाथन को मरणोपरांत भारत रत्न देना तमिलनाडू में नयां सियासी दांव माना जा रहा है। स्वामीनाथन को पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण सम्मान पहले ही मिल चुके हैं। कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव के लिए नई खोजें करने वाले स्वामीनाथन सिर्फ तमिलनाडू या भारत में नहीं बल्कि दुनिया में विख्यात थे। उन्हें कृषि क्षेत्र का नेता कहा जाने लगा था। उन्हें भारत रत्न सम्मान का फैसला उनकी प्रतिष्ठा को वोट में बदलने की रणनीति माना जा रहा है।