महाराष्ट्र में भतीजे ने दोहराई 41 साल पुरानी चाचा वाली सियासी कहानी
खरी खरी डेस्क
मुंबई, 25 नवंबर। महाराष्ट्र की राजनीति में मचा सियासी भूचाल आने वाले कई दशकों तक याद रखा जाएगा। राज्य की राजनीति में गेम चेंजर की भूमिका निभा रहे शरद पवार आज भले ही आरोप प्रत्यारोप में उलझे हों लेकिन आज से करीब 41 साल पहले वे भी इसी तरह सीएम बने थे। आज उनके भतीजे अजीत पवार ने सियासी चाल चलकर पार्टी तोड़ने की कोशिश है और तब शरद पवार ने सियासी चाल चलकर पार्टी तोड़ी थी। अजित तो डिप्टी सीएम बने हैं लेकिन शरद तो सीएम बन गए थे।
आपातकाल के ठीक बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई थी। महाराष्ट्र में भी पार्टी को काफी नुकसान हुआ, जिसके बाद तत्कालीन सीएम शंकरराव चव्हाण ने इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह वसंददादा पाटिल मुख्यमंत्री बने। बाद में उसी साल कांग्रेस 2 धड़ों में बंट गई। एक धड़ा देवराज अर्स की अगुवाई में कांग्रेस यू बना और दूसरा धड़ा इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस आई बना। शरद पवार के राजनीतिक गुरु शंकरराव चव्हाण कांग्रेस यू में चले गए। थोड़े दिन बाद 1978 में राज्य विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को दोनों धड़े चुनाव मैदान में अलग अलग उतरे। इस चुनाव में बहुमत किसी पार्टी को नहीं मिला। जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई। लेकिन जनता पार्टी को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस को दोनों धड़े एक हो गए और वसंतदादा पाटिल के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनी। थोड़े दिन बाद शरद पवार ने जुलाई 1978 में कांग्रेस (यू) पार्टी को तोड़ दिया और जनता पार्टी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बना ली। इस तरह लगभग 37 साल और 7 महीने की उम्र में वह महाराष्ट्रके सबसे युवा मुख्यमंत्री बन गए। हालांकि पवार कुर्सी पर बहुत ज्यादा समय नहीं बिता पाए। सत्ता में वापसी करते ही प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पवार की सरकार को बर्खास्त कर दिया। वह पहली बार 18 जुलाई 1978 से लेकर 17 फरवरी 1980 तक (एक साल 214 दिन) ही मुख्यमंत्री रह पाए। आज 4 दशक बाद वही कहानी दोहराई गई है। सबसे बड़े दल के रूप में उभरी भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस के दोनों धड़े एनसीपी और आइएनसी एक हो गए। लेकिन शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने पार्टी तोड़कर भाजपा से हाथ मिला लिया और सत्तारूढ़ हो गए। वे शरद पवार की तरह सीएम नहीं बने लेकिन डिप्टी सीएम से ही संतोष कर लिया।