मनोहर पर्रिकर : मोदी मंत्रिमंडल में पहला आईआईटी चेहरा
पणजी, 9 नवंबर| गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने रविवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। दो साल पहले जिस पर्रिकर ने सेना पर पणजी में जमीन हथियाने का आरोप लगाया था, अब उन्हीं को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दिए जाने की संभावना है। फिलहाल इस मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास है। पर्रिकर ने गोवा विधानसभा में सेना पर आरोप लगाते हुए कहा था कि "सेना को लाहौर से हटाना आसान है, लेकिन गोवा में उससे एक इंच जमीन भी हासिल करना कठिन है।" यह बयान अतिशयोक्ति हो सकता है, लेकिन 58 वर्षीय पर्रिकर को यह जिम्मेदारी देने से भारतीय सेना में सबकुछ ठीक करने का यह एक अवसर हो सकता है।
तीन बार गोवा के मुख्यमंत्री रह चुके और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पूर्व छात्र पर्रिकर की छवि एक विनम्र, मृदुभाषी नेता की है।
देश के सबसे छोटे और केंद्रीय राजनीति में कम महत्व रखने वाले राज्य के वह पहले नेता हैं, जिन्हें केंद्रीय कैबिनेट में स्थान मिला है।
उत्तरी गोवा से सांसद श्रीपद नाइक केंद्रीय मंत्रिमंडल में हालांकि, गोवा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और उन्हें पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी दी गई है।
पर्रिकर द्वारा रक्षा से संबंधित मुद्दों पर पूछे गए प्रश्नों पर दी गई शुरुआती प्रतिक्रिया से इस बात का थोड़ा-बहुत अनुमान लगाया जा सकता है कि उनके अंतर्गत रक्षा मंत्रालय की कार्यप्रणाली कैसी रहेगी।
उनकी प्रतिक्रिया भावुक और तत्पर रही है।
मुख्यमंत्री रहते हुए शुक्रवार को उनसे विशाखापत्तनम के तट से लगे समुद्र में पोत के दुर्घटनाग्रस्त होने पर एक चालक की मौत पर जब उनकी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कहा, "जब मैंने नाविक के मौत की खबर सुनी, मुझे तकलीफ हुई। देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले व्यक्ति की मौत पर मुझे दुख होता है। अगर हम सेना के किसी व्यक्ति को खोते हैं, तो मुझे दुख होता है।"