पीएम मोदी ने देश में सेक्यूलर सिविल कोड लागू करने की बात फिर दोहराई
खरी खरी संवाददाता
जोधपुर, 25 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में सेक्यूलर सिविल कोड लागू करने की बात एक बार फिर दोहराई है और कहा है कि कोई सरकार भले ही इस मुद्दे पर पहली बार मुखर हुई हो, लेकिन हमारी ज्यूडिशरी दशकों से इसकी वकालत करती आई है।
प्रधानमंत्री ने जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के प्लेटिनम जुबली समारोह के समापन अवसर पर यह मुद्दा फिर उठाया। इसके पहले उन्होंने 15 अगस्त के मौके पर लाल किले की प्राचीर से बोलते हुए देश में सेक्यूलर सिविल कोड़ लागू करने की बात की थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का उदाहरण, देश के सैंवधानिक एकीकरण का उदाहरण…सीएए जैसे कानूनों का उदाहरण हमारे सामाने हैं। ऐसे मुद्दों पर राष्ट्र हित में स्वाभाविक न्याय क्या कहता है, यह हमारी अदालतों के निर्णय से पूरी तरह से स्पष्ट होता रहा है। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने अनेक बार ऐसे विषयों पर राष्ट्र प्रथम जैसे विषयों को सशक्त किया है। पीएम ने कहा कि आजादी के इतने दशक बाद गुलामी की मानसिकता से उबरते हुए देश ने इंडियन पिनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहित को एडॉप्ट किया है। दंड की जगह न्याय…यह भारतीय चिंतन का आधार भी है। भारतीय न्याय संहिता हमारे देश को कोलोनियल माइंडसेट से आजाद करवाती है। बीते एक दशक में हमारा देश तेजी से बदला है। हम 10 साल पहले के 10वें पायदान से उपर उठकर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं। आज देश के सपने भी बड़े हैं और देश वासियों की आकांक्षाएं भी बड़ी हैं। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी व्यवस्थाओं को आधुनिक बनाएं। जस्टिस फार ऑल इसके लिए उतना ही जरूरी है। मोदी ने देश में आईटी रेवोल्यूशन का जिक्र करते हुए कहा कि इससे न्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि आईटी रेवोल्यूशन से कितना बड़ा बदलाव हो सकता है, हमारी ई-कोर्ट्स इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। नेशनल ज्यूडिशल डेटा ग्रिड से 26 करोड़ से ज्यादा मुकदमों की जानकारी एक सेंट्रलाइज प्लेटफार्म पर जुड़ चुकी है। पूरे देश की 3 हजार से ज्यादा कोर्ट, 12 हजार से ज्यादा जेलें वीडियो कॉनकॉल से जुड़ गई हैं। मुझे खुशी कि राजस्थान भी इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है। पेपरलेस कोर्ट, समन के लिए इलेक्ट्रॉनिक सर्विस कोई सामान्य बदलाव नहीं है।