नौकरशाही की तलहटी तक पहुंच सकेगी मोदी की प्रेरणा?
नई दिल्ली, 12 जून| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोक सेवकों की नैतिकता को बल प्रदान करने और कामकाज निस्तारित करने की क्षमता बढ़ाने पर जोर देने के लिए प्रेरित करने का काम किया है, लेकिन क्या उनका संदेश 1.8 करोड़ की संख्या वाली नौकरशाही तक पहुंच पाएगा? तलछट की इस नौकरशाही को अपनी मर्जी से काम निपटाने के लिए जाना जाता है। पूर्व सचिवों का कहना है कि भीमकाय दफ्तरी तामझाम के कारण सरकार के विभिन्न स्तरों पर प्रेरणा बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास किए जाने की दरकार होगी।
मोदी ने पिछले सप्ताह मंत्रियों और सचिवों के साथ अलग-अलग बैठकें की। हाल के दिनों में यह पहला अवसर था जब किसी प्रधानमंत्री ने मंत्रालय के शीर्ष नौकरशाह, सचिवों के साथ बातचीत की। इस बैठक ने दो सप्ताह पहले सत्ता संभालने वाली नई सरकार के तौर-तरीके के बारे में एक व्यापक रूपरेखा पेश की।
मोदी ने सचिवों से कोई भी फैसला लेने में नहीं हिचकिचाने के लिए कहा और कहा कि वे उनके साथ खड़े होंगे।
मोदी का संदेश था नियमों का सरलीकरण, पुरानी प्रक्रियाओं का त्याग और प्रशासनिक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का असर कैबिनेट सचिवालय के नोट में दिखता है।
भारतीय नौकरशाही को किसी जमाने में 'स्टील फ्रेम' कहा जाता था। इसी नौकरशाही ने दक्षिण एशिया में ब्रितानी साम्राज्य की सेवा की थी। हांगकांग की राजनीतिक एवं आर्थिक जोखिम परामर्शदातृ ने इस नौकरशाही को एशिया में 'अत्यंत बेकार' में से एक माना है। संगठन ने इसे महत्वपूर्ण नीतियों की राह में रोड़ा अटकाने वाला, लाल फीताशाही का आग्रही, भ्रष्ट, लकीर का फकीर, असंवेदनशील और ऐसे अधिकारियों का जमावड़ा माना है जिसके पास विशेषज्ञता बिल्कुल नहीं है।
पूर्व सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों ने आईएएनएस से बातचीत में कहा है कि मोदी के शब्द प्रशासन का टोन दुरुस्त करने में मददगार होंगे।
पूर्व पेट्रोलियम सचिव एस. सी. त्रिपाठी ने कहा कि प्रशासन में सुधार लाने के लिए नई सरकार का प्रयास अत्यंत स्वागत योग्य है।
उन्होंने कहा, "आधुनिक प्रशासन में प्रधानमंत्री मुख्य कार्याधिकारी की तरह देखे जाते हैं। चूंकि नीतियों का अमल लोक सेवकों के भरोसे रहता है, इसलिए उन्हें (प्रधानमंत्री) उनके (लोक सेवकों) साथ जुड़े रहना होगा।"
हरियाणा सरकार में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "जो काम (मोदी द्वारा) अब किया जा रहा है वह बहुत पहले हो जाना चाहिए था।"
उन्होंने कहा, "अगर यह संदेश दिया जाता है कि बड़े काम के लिए फैसले में छोटी भूल को नजरअंदाज किया जाएगा तो यह मनोबल बढ़ाने वाला होगा।"