थम नहीं रहा जातीय जनगणना को लेकर शुरू हुआ बवाल
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 31 जुलाई। जातीय जनगणना को लेकर संसद से शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। इंडिया गठबंधन के सारे सहयोगी दल राहुल गांधी के पक्ष में खड़े होकर जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं, वहीं एनडीए गठबंधन के सहयोगी दल भाजपा के साथ खड़े हैं। यहां तक बिहार में जातिगत जनसंख्या करवा चुका सत्तारूढ़ जद यू भी पूरे देश में जातिगतणना के खिलाफ है।
जातिगत जनगणना का जिन्न साल 2018 से बोतल से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी इसे बाहर निकालने में सबसे अधिक मदद कर रहे हैं। ताजा विवाद संसद के बजट सत्र में हुई बहस के बाद हुआ है। संसद के मॉनसून सत्र के सातवें दिन मंगलवार (30 जुलाई) को अग्निवीर स्कीम और जातिगत जनगणना पर भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और सपा सांसद अखिलेश यादव के बीच जमकर बहस हुई। सबसे पहले अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा-"आजकल कुछ लोगों पर जाति जनगणना का भूत सवार है। जिसको अपनी जाति का पता नहीं है, वो जातिय जनगणना कराना चाहते हैं।" इस पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। इसी बीच राहुल गांधी ने अनुराग ठाकुर पर उन्हें गाली देने का आरोप लगा दिया। अखिलेश यादव भी इस बहस में शामिल हो गए। उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा- "भला कोई किसी की जाति कैसे पूछ सकता है?"बाद में अनुराग ठाकुर ने भी दलील दी, "कुछ लोग ओबीसी की बात करते हैं. इनके लिए ओबीसी का मतलब है, ऑनली फॉर ब्रदर इन लॉ कमीशन. मैंने कहा था, जिसको जाति का पता नहीं, वो गणना की बात करता है. मैंने नाम किसी का नहीं लिया था, लेकिन जवाब देने कौन खड़े हो गए।" लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने तीखा पलटवार किया। राहुल गांधी ने कहा कि जो भी दलितों की बात उठाता है उसे गाली खानी ही पड़ती है। मैं ये सब गालियां खुशी से खाऊंगा। महाभारत की बात हुई तो अर्जुन को सिर्फ मछली की आंख दिख रही थी, तो हमें जातीय जनगणना चाहिए वह हम करा के रहेंगे। इसके पीछे चाहे मुझे कितनी भी गाली दी जाएं।हमारे देश में कई ऐसे संवैधानिक नियम-कानून हैं, जिनको जाति को आधार बनाया गया है। चुनाव के लिए कई सीटों को जाति के नाम पर आरक्षण मिलता है। नौकरियों में भी रिजर्वेशन मिलता है। मकसद ये है कि सामाजिक या आर्थिक तौर पर जो आबादी पीछे रह गई है, वो मेन स्ट्रीम में आ जाए, वो विकास में बराबर के भागीदार बने। देश के बाकी नागरिकों के साथ कदम से कदम से मिला कर चले। जाति को आधार बनाकर राजनीतिक दल भी चुनाव और संगठन से जु़ड़ी अपनी रणनीति बनाते हैं, लेकिन देश की राजनीति में पिछले 48 घंटों से इस बात तेज विवाद छिड़ गया है कि जाति आखिर क्यों नहीं जाती?