जीएसटी:अब एक देश, एक बाजार, एक कर

Jul 01, 2017

खरी खरी संवाददाता

नई दिल्ली, 1 जुलाई। लगभग सत्रह साल चली कवयाद के बाद आज से देश में एक देश, एक बाजार, एक कर की अवधारणा वाली कर व्यवस्था जीएसटी लागू हो गई। बीती मध्यरात्रि संसद के ऐतिहासिक सेंट्रल हाल में आयोजित भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बटन दबाकर जीएसटी को लांच किया।

सेंट्रल हाल में आयोजित समारोह 30 जून शुक्रवार की रात को लगभग 11 बजे शुरू हुआ और मध्यरात्रि के ठीक 12 बजते ही जीएसटी लांचिंग हो गई। समारोह में पूरी केंद्र सरकार मौजूद थी। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोकसभा स्पीकर सुमत्रा महाजन, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, सहित कई दिग्गज राजनेता मौजूद थे। रतन टाटा, अमिताभ बच्चन, लता मंगेशकर जैसी हस्तियां भी समारोह का हिस्सा बनीं। कांग्रेस के कार्यक्रम की बायकाट की घोषणा के चलते पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कार्यक्रम में नहीं आए। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी में सभी दलोंऔर सरकारों के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि जीएसटी किसी एक दल की उपलब्धि नहीं है। यह सांझी विरासत है। ...ये भी संयोग है कि गीता के 18 अध्याय थे और जीएसटी के लिए भी उसकी काउंसिल की 18 बैठकें हुईं। उन्होंने कहा कि जीएसटी असल में गुड एंड सिंपल टैक्स है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वर्षों पहले शुरू हुए लंबे सफर के पूरा होने का यह ऐतिहासिक मौका है। आजाद भारत के इतिहास में यह चौथा मौका रहा जब सेंट्रल हॉल में मिडनाइट सेशन बुलाया गया। इससे पहले भी तीनों मौकों पर आधी रात को संसद बुलाई गई थी, लेकिन वह आजादी के जश्न के लिए थी। 70 साल में ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी टैक्स रिफॉर्म के लिए आधी रात को संसद सत्र चला।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी की व्यापक जानकारी देते हुए कहा कि पुराना भारत आर्थिक रूप से बंटा हुआ था। नया इंडिया एक देश के लिए एक टैक्स, एक मार्केट का निर्माण करेगा। अरुण जेटली ने कहा कि असीमदास गुप्ता ने मुझे इसके बारे में पहली शिक्षा दी थी। संसद और राज्यों ने सबकी सहमति से पास किया गया। जीएसटी काउंसिल की 18 बैठकें हुईं। किसी भी वक्त पर हमें कोई फैसला लेने के लिए वोटिंग नहीं करवानी पड़ी। 1211 कमोडिटीज पर टैक्स तय किए गए। आम और गरीब आदमी पर ज्यादा असर ना पड़े। मौजूदा टैक्स से ये सीखा गया कि किसी के ऊपर ज्यादा बोझ ना पड़े। 17 ट्रांजेक्शन टैक्स हैं। इन्हें खत्म कर अब सिर्फ एक टैक्स देना होगा।" "विजय केलकर जी यहां मौजूद हैं, उन्होंने रिपोर्ट दी थी। यूपीए ने 2006 में कहा था कि 2010 में इसे लागू करेंगे। 2011 में इसके लिए संशोधन की बात हुई। स्टैंडिंग कमेटी ने कई सुझाव दिए थे। यशवंत सिन्हा यहां मौजूद हैं, वो इस कमेटी के चेयरमैन थे। कमेटी के उस फैसले का असर था कि केंद्र और राज्यों को साथ काम करने लिए मजबूर किया गया।"इसके लिए सभी दलों का सहयोग होगा। इसमें राजनीति को अहमियत नहीं दी गई। जीएसटी काउंसिल ने कहा- देश ने एक साथ मिलकर काम किया और मैच्योरिटी दिखाई। हम राज्यों के साथ मिलकर फैसले करेंगे। देश में बहुदलीय प्रथा है। राज्यों और केंद्र के अफसरों ने मिलकर सराहनीय काम किया। ये जो यात्रा थी, आप सबसे अहम गवाह हैं, जो 15 साल पहले शुरू हुईये देश के लिए एेतिहासिक पल है। ये देश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। नए देश में एक टैक्स, एक मार्केट होगा। इसमें राज्य और केंद्र मिलकर काम करेंगे।"