घर में घमासान से सीबीआई के दामन पर लगा दाग
खरी खरी डेस्क
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर। यह संभवतः पहला मौका है जब देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई में खुले आम घमासान मचा। एजेंसी के नंबर वन और नंबर टू अफसरों ने एक दूसरे के खिलाफ इतनी कीचड़ उछाल दी कि सरकार की भी किरकिरी हो गई। अंततः सरकार को दोनों को हटाकर तीसरे अफसर को कमान सौंपनी पड़ गई। सरकार के वरिष्ठ मंत्री को मीडिया के सामने आकर सफाई देनी पड़ी।
सीबीआई के चीफ आलोक वर्मा और नंबर दो कहे जाने वाले स्पेशल डाइरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच मचे घमासान ने इस सर्वोच्च जांच एजेंसी की इज्जत मिट्टी में मिला दी। अभी तक सीबीआई की साख तमाम आरोपों के बावजूद बची थी, लेकिन दोनों अफसरों की लड़ाई ने सब खत्म कर दिया। सीबीआई को अपने ही अफसरों के खिलाफ एफआईआर करनी पड़ी, अपने ही आफिस को सील करना पड़ा। किसी भी संस्था के लिए इससे दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं हो सकता है।
सीबीआई चीफ आलोक वर्मा ने अपने ही वरिष्ठ अधिकारी राकेश अस्थाना के खिलाफ घूस लेने के आरोप में एफआईआर करा दी और जांच भी शुरु करा दी। बदले में अस्थाना ने वर्मा पर रिश्वतखोरी और जांच प्रभावित करने के आरोप लगा दिए। अस्थाना के सहयोग डीएसपी को तो गिरफ्तार भी कर लिया गया।
अस्थाना ने घूस के आरोप में अपने खिलाफ दायर एफआईआर को कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस नाजिम वजीरी ने अस्थाना और घूस मामले में गिरफ्तार डीएसपी देवेंद्र कुमार द्वारा अलग-अलग दायर याचिकाओं पर जांच एजेंसी, उसके निदेशक आलोक कुमार वर्मा और संयुक्त निदेशक एके शर्मा से जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि अस्थाना और कुमार मामले से जुड़े रेकॉर्ड को संरक्षित रखा जायेगा। अभियुक्तों के मोबाइल, लैपटॉप भी संरक्षित रखे जायेंगे। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि अस्थाना के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और एजेंसी मामले की जांच कर रही है। अस्थाना के वकील अमरेंद्र सरन ने कहा कि सीबीआई के विशेष निदेशक के खिलाफ आरोपित के बयान पर आधारित एफआईआर अवैध है।
केंद्र सरकार सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच जारी घमासान से काफी नाराज है। दोनों अफसरों को पीएमओ बुलाकर समझाने की कोशिश की गई लेकिन नतीजा सिफर रहा। अंततः दोनों अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया गया और संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बनाकर तुरंत प्रभार सौंप दिया। सरकार ने इस कार्रवाई के साथ ही मीडिया के सामने आकर सफाई भी दी। वरिष्ठ मंत्री अरुण जेटली ने सारे तथ्य मीडिया के सामने रखे और बताया कि दोनों अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया गया है। इस सबके बावजूद सरकार कि किरकिरी हो गई और सीबीआई के दामन पर दाग लग गया।