खट्टर : किराए के घर से मुख्यमंत्री आवास तक का सफर
चंडीगढ़, 26 अक्टूबर| मुश्किल से तीन महीने पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक साधारण से नेता ने हरियाणा के करनाल में किराए पर एक नया घर लिया, जहां उन्हें पहचानने वाला भी कोई नहीं था। आज वही किराए के घर में रहने वाले मनोहर लाल खट्टर राज्य के मुख्यमंत्री बन चुके हैं।
रविवार को हरियाणा के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले खट्टर अब करनाल के अपने उस तीन कमरे वाले किराए के घर से राज्य के भव्य मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करेंगे।
दो बंगले वाला यह विशाल परिसर ही अब 60 वर्षीय खट्टर का आवास होगा।
निवार्चन आयोग को दी गई जानकारी के अनुसार पेशे से शिक्षक और किसान खट्टर के पास उनके नाम से एक वाहन तक नहीं है और 2013-14 वित्त वर्ष में जमा किए गए आयकर रिटर्न के अनुसार, उनकी वार्षिक आय 273,315 रुपये है।
चंडीगढ़ से 130 किलोमीटर की दूरी पर करनाल के प्रेम नगर में रहने वाले खट्टर के भाग्य ने पिछले तीन-चार महीनों में जबरदस्त पलटी खाई।
प्रेम नगर के रहने वाले तरसेम लाल ने आईएएनएस से कहा, "जब वह करनाल में रहने आए तो उन्हें यहां कोई नहीं जानता था। जब उन्होंने प्रचार शुरू किया तब भी वह साधारण ही बने रहे। कोई नहीं जानता था कि यह आदमी मुख्यमंत्री बन जाएगा।"
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक रह चुके खट्टर करनाल विधानसभा में मतदाता के रूप में भी पंजीकृत नहीं हैं। वास्तव में वह रोहतक जिले के कालानौर विधानसभा क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं।
करनाल के खट्टर के पड़ोसियों में उनके मुख्यमंत्री बनने को लेकर गजब का उत्साह दिखा।
प्रेम नगर की रहने वाली कविता ने आईएएनएस को बताया, "हमें कभी लगा ही नहीं कि साधारण से लगने वाला यह व्यक्ति राज्य का मुख्यमंत्री बन सकता है। हम लोग इससे काफी रोमांचित हैं। हमें पूरा भरोसा है कि वह हरियाणा और विशेष तौर पर करनाल के विकास के लिए काम करेंगे।"
खट्टर के पैतृक गांव बनीयानी और उनके जन्मस्थल निंदाना गांव के निवासियों ने खट्टर के मुख्यमंत्री बनने पर खुशी का इजहार किया।
बनियानी में ही रहने वाले मुख्यमंत्री के छोटे भाई गुलशन खट्टर ने आईएएनएस से कहा, "पिछले कई वर्षो से वह कठिन मेहनत कर रहे थे और अपना पूरा जीवन ही समाज को समर्पित कर दिया। हमारे परिवार को उन पर गर्व है। हम उम्मीद करते हैं कि वह पूरे राज्य के लिए काम करेंगे।"
चिकित्सक बनने का सपना देखने वाले खट्टर को आजीविका के लिए दिल्ली के अति व्यस्त सदर बाजार में दुकान खोलनी पड़ी। खट्टर ने लेकिन इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की शिक्षा ग्रहण की और आरएसएस से जुड़ने के बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन ही समाज को समर्पित कर दिया।