कूनो में सौगात सहेजी नहीं जा सकी, चीता शावकों की भी मौत
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 25 फरवरी। देश में दशकों बाद चीतों की बसाहट शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्यप्रदेश को दी गई सौगात सहेजी नहीं जा सकी। पालपुर कूनो अभ्यारण्य में चीतों का मौत का सिलसिला लगातार जारी है। तीन चीतों की मौत के बाद भी सभी इस बात से खुश थे कि उसी वन में जन्मे चार शवक उम्मीदों की दुनिया कायम रखे थे, लेकिन अब उन शावकों को भी मौत के पंजों ने दबोचना शुरू कर दिया है।
चीतों की मौतों पर प्रेसनोट जारी कर अधिकारियों के द्वारा समय समय पर सूचना भी जारी कर दी गई। लेकिन चीतों का स्वास्थ्य खराब होना या स्वास्थ्य खराब होने से चीतों की मौत होना वन विभाग प्रबंधन की कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह अंकित करता है। देश के प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जन्मदिन पर मध्यप्रदेश को ही नहीं अपितु समूचे भारत को सबसे बड़ी सौगात दी। क्योंकि देश में चीतों के विलुप्त होने के बाद और उन्हें पुनःस्थापित करना प्रधानंत्री की महत्वकांक्षी परियोजना में से एक है। अभी हाल ही में दो दिन पहले 23 मई को कमजोरी के कारण कूनो में मादा चीता ज्वाला (सियाया) के एक शावक की मौत हुई थी। लेकिन आज ज्वाला के शेष तीन शावकों में से दो और शावकों की मृत्यु हो गई है। वन विभाग ने एक बार फिर से प्रेस नोट जारी कर इन शावकों की मौत की पुष्टि की है। जिसके उल्लेखानुसार पूर्व एक शावक की मौत के पश्चात शेष 3 शावक एवं मादा चीता ज्वाला की पालपुर में तैनात वन्य प्राणी चिकित्सकों की टीम एवं मॉनिटरिंग टीम द्वारा दिनभर लगातार निगरानी की गई। दिन के समय चीता ज्वाला को सप्लीमेंट फूड दिया गया। दोपहर बाद निगरानी के दौरान शेष तीन शावक की स्थिति सामान्य नहीं लगी। यहां यह भी ध्यान देने योग्य दिया गया कि 23 मई इस ग्रीष्म ऋतु का सर्वाधिक गर्म दिन भी रहा। दिन का अधिकतम तापमान लगभग 46–47 डिग्री सेल्सियस रहा। दिनभर अधिक गर्म हवाएं एवं लू चलती रही। तीनों शावकों की असामान्य स्थिति एवं गर्मी को देखते हुए प्रबंधन एवं वन्य प्राणी चिकित्सकों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों को रेस्क्यू कर आवश्यक उपचार करने का निर्णय लिया। दो शावकों की स्थिति अत्यधिक खराब होने से उपचार के सभी प्रयासों के बावजूद भी उनको बचाया नहीं जा सका। एक शावक गंभीर हालत में गहन उपचार एवं निगरानी में पालपुर स्थित चिकित्सालय में रखा गया। जहां उसका लगातार उपचार किया जा रहा है। उपचार के लिए हमारे नामीबिया एवं साउथ अफ्रीका के सहयोगी चीता विशेषज्ञों एवं चिकित्सकों से लगातार सलाह ली जा रही है। उक्त शावक वर्तमान में गहन उपचार में है एवं उसके स्वास्थ्य की स्थिति स्थिर है। मादा चीता वाला वर्तमान में स्वस्थ है। जिसकी सतत निगरानी की जा रही है। सभी चीता शावक कमजोर सामान्य से कम वजन एवं अत्यधिक डिहाइड्रेटेड पाए गए। मादा चीता ज्वाला हैंड रियर्ड चीता है जो पहली बार मां बनी चीता शावकों की उम्र लगभग 8 हफ्ते है। इस अवस्था में चीता शावक सामान्यतः जिज्ञासु होते हैं एवं मां के साथ लगातार चलते हैं चीता शावकों ने अभी लगभग 8–10 दिन पूर्व ही मां के साथ घूमना शुरू किया था। चीता विशेषज्ञों के अनुसार सामान्यतः अफ्रीका में चीता शावकों का जीवित रहने का प्रतिशत बहुत कम होता है। स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल अनुसार पोस्टमार्टम की कार्रवाई भी की जा रही है।
वन विभाग तमाम दावे करता रहा लेकिन यह तय है कि तीन शावकों सहित 6 चीतों की मौत ने इस प्रोजेक्ट को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।