कर्मचारियों को अब यूनीफाइड पेंशन स्कीम, दस साल बाद जाब छोड़ने पर भी पेंशन
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 24 अगस्त। केंद्र सरकार ने लंबे समय से विवादों में घिरी नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) की जगह सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) का एलान किया है। केंद्रीय कैबिनेट ने शनिवार की बैठक में इस योजना को मंजूरी दे दी।
बैठक के बाद इसकी जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यूपीएस पिछले साल 1 अप्रैल से लागू होगी। इसका फायदा 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को होगा। उन्होंने कहा, 'कर्मचारियों को कॉन्ट्रिब्यूट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार कर्मचारी के बेसिक सैलरी का 18 प्रतिशत कॉन्ट्रिब्यूट करेगी।' न्यू पेंशन स्कीम में कर्मचारी को 10 प्रतिशत अपने मूल वेतन का जमा करना होता है। सरकार 14 प्रतिशत योगदान देती है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत अगर किसी कर्मचारी ने 25 साल तक काम किया है तो रिटायरमेंट के पहले जॉब के आखिरी 12 महीने के बेसिक का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा। यदि किसी पेंशनभोगी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को पेंशन का 60 फीसदी मिलेगा। वहीं, अगर कोई दस साल बाद जॉब छोड़ देता है तो उसे दस हजार रुपये पेंशन मिलेगी। फैमिली पेंशन 60 फीसदी दी जाएगी। मतलब सरकारी कर्मचारी की मौत होती है तो उनके आश्रित को अंतिम पेंशन का 60 फीसदी मिलेगा। एनपीएस और यूपीएस दोनों में एक चुनने का विकल्प होगा। जो पहले से एनपीएस चुन चुके हैं उन्हें भी इसका लाभ मिलेगा। राज्य सरकार भी इसी मॉडल को लागू कर सकेगी। कर्मचारियों को अलग से अंशदान नहीं करना होगा। इसका 18 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार वहन करेगी। कर्मचारी का योगदान एनपीएस की ही तरह दस प्रतिशत रहेगा। सरकारी कर्मचारियों को महंगाई इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा।
इससे पहले नई पेंशन स्कीम में बदलाव की मांग पर डॉ. सोमनाथन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी थी। सरकार ने कर्मचारियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए एनपीएस में बदलाव का फैसला लिया है। इसके लिए डॉ. सोमनाथन कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में एनपीएस में बदलाव के सुझाव दिए थे। इन्हीं सुझावों के आधार पर सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दी गई है।