एससी-एसटी एक्ट से जुड़ी याचिकाओं पर एक साथ होगी सुनवाई
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 27 जनवरी। एससी एसटी एक्ट में किए गए बदलाव को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं और इससे जुड़े अन्य मुद्दों पर देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई 30 जनवरी से होगी। सभी मामलों पर सुप्रीम कोर्ट एक साथ सुनवाई करेगा।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी को विधि सम्मत नहीं मानते हुए इस पर रोक लगा दी थी। इसे लेकर वर्ग विशेष का दबाव पड़ा तो केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद के माध्यम से बदल दिया। दोनों ही फैसलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। वकील प्रिया शर्मा और पृथ्वी राज चौहान द्वारा एक याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार ने बदल दिया है, इस पर रोक लगनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका स्वीकार तो कर ली लेकिन केंद्र के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च, 2018 को अपने एक फैसल में कहा था कि एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा। डीएसपी पहले शिकायत की प्रारंभिक जांच करके पता लगाएगा कि मामला झूठा तो नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एफआईआर दर्ज होने के बाद अभियुक्त को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी से पहले सक्षम अधिकारी और सामान्य व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले एसएसपी की मंजूरी ली जाएगी। केंद्र सरकार ने इस फैसले के बाद बढ़े विवाद को देखते हुए कानून में ही संशोधन कर दिया। संशोधित कानून के जरिये एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून में धारा 18 ए जोड़ी है। इस धारा के मुताबिक इस कानून का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं है, न ही जांच अधिकारी को गिरफ्तारी करने से पहले किसी से इजाजत लेने की जरूरत है। इसके खिलाफ प्रिया शर्मा और पृथ्वी राज चौहान ने याचिका दायर कर केंद्र सरकार के नए एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 को असंवैधानिक बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि इस नए कानून से बेगुनाह लोगों को फिर से फंसाया जाएगा। याचिका में मांग की गई है कि सरकार के इस नए कानून को असंवैधानिक करार दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे देने से इंकार कर दिया था। अब अदालत एक साथ सभी याचिकाओं पर सुनवाई करने जा रही है।