दक्षिण का एक गांव जहां आज भी कोई जूते-चप्पल पहनकर नहीं चलता
खरी खरी डेस्क
चेन्नै, 29 अगस्त।पहले का दौर कुछ और था जब लोग नंगे पैर ही मीलों तक सफर तय कर लेते थे। आज के समय में तो हर इंसान जूता-चप्पल पहनता है। फुटवियर का आविष्कार ही पैरों को सुरक्षित रखने के लिए किया गया था। आज के समय में बिना फुटवियर के कहीं भी आना-जाना नामुमकिन है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक गांव ऐसा भी है, जहां पर लोग जूता-चप्पल नहीं पहनते हैं. इस गांव में जूते-चप्पल नहीं पहनने की बेहद खास वजह बताई जाती है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर ऐसा क्या कारण है, जो लोग यहां नंगे पांव घूमते हैं...।
लोगों को भरोसा नही होता लेकिन यह पूरी तरह सच है। इस गांव में लोग घर के बाहर होने पर भी जूता-चप्पल नहीं पहनते हैं। लोगों को देखकर ऐसा लगता है कि गांव में जूते-चप्पल पहनने प्रतिबंध है। इसके पीछे बेहद रोचक वजह है। यह गांव भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में स्थित है। प्रसिद्ध शहर मदुराई से यह गांव 20 किमी दूर स्थित है, जिसका नाम कलिमायन गांव है। इस गांव में बच्चे भी जूते-चप्पल नहीं पहनते हैं। अगर कलिमायन गांव में कोई गलती से भी जूते चप्पल पहन लेता है, तो उसे सजा कठोर दी जाती है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में रहने वाले लोग अपाच्छी नाम के देवता की सदियों से पूजा करते आ रहे हैं। वहां के लोगों का मानना है कि अपाच्छी देवता ही उनकी रक्षा करते हैं। अपने देवता के प्रति आस्था के कारण गांव की सीमा के अंदर जूते-चप्पल पहनने पर रोक है।यहां के लोग सदियों से इस अजीबोगरीब पंरपरा का पालन करते हुए आ रहे हैं। अगर किसी को बाहर जाना होता है, तो वह हाथ में जूते चप्पल लेकर जाता है और गांव की सीमा खत्म होने पर उसे पहन लेता है। इसके बाद जब वो वापस आते हैं, तो गांव की सीमा से पहले ही जूता चप्पल उतार देते हैं। इस गांव में रहने वाले मुख्य रूप से खेती किसानी करते हैं। गांव मुदराई जैसे बड़े शहर से बहुत दूर नही है। इसके बाद भी इतनी कठिन परंपरा का पालन किया जा रहा है। यहां तक शहरों में रहने वाली गांव की नई पीढ़ी भी इस परपंरा का पालन करती है।