इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए नियामक जरूरी : अदालत
लखनऊ, 2 नवम्बर। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि भारत सरकार को इलेक्ट्रानिक मीडिया के नियंत्रण के लिए एक विधिक नियामक बनाना चाहिए जहां लोग जा कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हों।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर की याचिका पर न्यायाधीश देवी प्रसाद सिंह और न्यायाधीश अशोक पाल सिंह की खंडपीठ ने कहा कि प्रिंट मीडिया की गड़बड़ियों पर नियंत्रण के लिए भारत का प्रेस परिषद है पर इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए ऐसा कोई फोरम नहीं दिखता है जो नियमों से संचालित भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में उचित नहीं जान पड़ता, अत: सरकार को इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए कोई विधिक नियामक संस्था बनानी चाहिए।
आदेश के अनुसार इलेक्ट्रानिक मीडिया का लोगों के मस्तिष्क पर तत्काल प्रभाव पड़ता है और अब यह बात सर्व-स्वीकार्य हो गयी है कई बार पेड न्यूज के जरिये ताकत का दुरुपयोग भी होता है। अत: इलेक्ट्रानिक मीडिया भी नियंत्रिक होनी चाहिए और भारत सरकार को इलेक्ट्रानिक मीडिया द्वारा प्रसारित समाचारों और अन्य कार्यक्रम के सम्बन्ध में आम जनता को शिकायत के लिए एक विधिक नियामक बनाना चाहिए।
अदालत ने भारत सरकार को चार सप्ताह में शपथपत्र के जरिये प्रेस परिषद की तरह इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए कोई नियामक बनाने के सम्बन्ध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं।