आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल ने दिया इस्तीफा

Dec 10, 2018
खरी खरी संवाददाता 
मुंबई, 10  दिसंबर। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इसकी वजह निजी बताई है। पिछले कुछ महीनों से सरकार और आरबीआई के बीच कई मुद्दों पर विवाद चल रहा था। सरकार ने आरबीआई एक्ट की धारा 7 का भी इस्तेमाल किया था। लेकिन, बाद में विवाद सुलझने की खबर आई। 19 नवंबर को आरबीआई की बोर्ड बैठक में विवाद के कुछ मुद्दों पर सहमति भी बन गई थी। इसके बाद यह आशंका खत्म हो गई कि उर्जित पटेल इस्तीफा देंगे। लेकिन, सोमवार को अचानक उन्होंने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। 
उर्जित पटेल ने 4 सितंबर 2016 को उर्जित पटेल आरबीआई गवर्नर का पद संभाला था। उनका कार्यकाल सितंबर 2019 तक था। लेकिन, उन्होंने 9 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया। पटेल ने कहा- मैं निजी कारणों की वजह से आरबीआई गवर्नर पद से इस्तीफा दे रहा हूं। यह तुरंत प्रभाव से लागू माना जाए। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ करना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं रिजर्व बैंक में अपने सभी साथियों और बोर्ड डायरेक्टर्स का शुक्रिया अदा करता हूं और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
उर्जित पटेल के कार्यकाल के दौरान सरकार-आरबीआई के बीच विवाद के मुद्दे आरबीआई ने प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) की रूपरेखा के तहत कुछ नियम तय किए थे। यही सरकार और आरबीआई गवर्नर के बीच विवाद का सबसे बड़ा मुद्दा था। रिजर्व बैंक ने 12 बैंकों को त्वरित कारवाई की श्रेणी में डाला। ये नया कर्ज नहीं दे सकते, नई ब्रांच नहीं खोल सकते और ना ही डिविडेंड दे सकते हैं।
सरकार पीसीए नियमों में ढील चाहती है ताकि कर्ज देना बढ़ सके। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि बैंकों की बैलेंस शीट और ना बिगड़े, इसलिए रोक जरूरी है।
अंतर-मंत्रालय समिति ने अलग पेमेंट-सेटलमेंट रेगुलेटर की सिफारिश की। रिजर्व बैंक इसके खिलाफ था। उसका अभी भी यही कहना है कि यह आरबीआई के अधीन हो। इसका प्रमुख आरबीआई गवर्नर ही हो।
एनपीए और विल्फुल डिफॉल्टरों पर अंकुश लगाने के लिए आरबीआई ने 12 फरवरी को नियम बदले। कर्ज लौटाने में एक दिन की भी देरी हुई तो डिफॉल्ट मानकर रिजॉल्यूशन प्रक्रिया शुरू करनी पड़गी। सरकार ने इसमें ढील देने का आग्रह किया, लेकिन आरबीआई नहीं माना।
नीरव मोदी का पीएनबी फ्रॉड सामने आने के बाद सरकार ने रिजर्व बैंक की निगरानी की आलोचना की तो आरबीआई गवर्नर ने ज्यादा अधिकार मांगे ताकि सरकारी बैंकों के खिलाफ कारवाई की जा सके।
सरकार रिजर्व बैंक से ज्यादा डिविडेंड चाहती है ताकि अपना घाटा कम कर सके। आरबीआई का कहना है कि सरकार इसकी स्वायत्तता को कम कर रही है। अभी इसकी बैलेंस शीट मजबूत बनाने की जरूरत है।
राजन ने भी सरकार से विवाद के बाद छोड़ा था पद दो साल में यह ऐसा दूसरा मौका है जब आरबीआई गवर्नर ने सरकार से विवाद के बाद पद छोड़ा है। इससे पहले रघुराम राजन ने जून 2016 में गवर्नर पद छोड़ने की घोषणा की थी। हालांकि, उन्होंने सितंबर 2016 में कार्यकाल पूरा होने पर पद छोड़ा था। मोदी सरकार और रघुराम राजन के बीच ब्याज दरों और राजन के बयानों को लेकर अनबन रही थी।