अनिल माधव दवे अलविदा...
भोपाल 18 मई। चुनावी प्रबंधन के मास्टर कहे जाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय प्रयावरण मंत्री अनिल दवे का दिल्ली में हृदयाघात से निधन हो गया। उनका जन्म उज्जैन के समीप बड़नगर में 6 जुलाई 1956 में विजयादशमी के दिन हुआ। उनके पिता रेल्वे में पदस्थ थे तथा गुजरात के विभिन्न अंचलों में कार्यरत रहे वहीं उनकी प्रारम्भिक शिक्षा हुई व इंदौर के गुजराती कालेज से एम.कॉम किया। कालेज में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्हें ग्राम्य अर्थव्यवस्था व प्रबंधन में विशेषज्ञता हासिल थी, शौक के तौर पर पायलट भी रहे। कुछ समय नौकरी व उद्योग में भी व्यस्त रहे। 1989 से 2004 तक संघ के प्रचारक रहे। वे 1964 में बाल्यकाल में ही रा.स्व.संघ के स्वयंसेवक बन गए । वे लेखन में भी सिद्धहस्त थे। उन्होंने स्फुट सामयिक निबंध व कविताओं का भी लेखन किया, वे भारतीय लोक व शिष्टपरंपरा के अध्येता थे।
उनका 2003, 2008 व 2013 का विधानसभा चुनाव बीजेपी को जिताने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने 2003 के चुनाव के पहले दिग्विजय सिंह सरकार के खिलाफ अभियान छेड़ते हुए मिस्टर बंटाढार का नारा दिया था, इस नारे ने दिग्विजय सिंह और कांग्रेस का बहुत नुकसान किया। यहां तक कि कांग्रेस आज भी दिग्विजय सिंह की मिस्टर बंटाढार वाली छवि से उबर नहीं पाई। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, म.प्र. के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान, जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह आदि ने शोक व्यक्त करते हुए अपूर्णनीय क्षति बताया।